वाटिकन सिटी, मंगलवार 3 दिसम्बर 2013 (वीआर, अंग्रेजी): संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार
2 नवम्बर को, वाटिकन प्रेरितिक प्रासाद स्थित संत मार्था प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा
के दौरान उपदेश में ख्रीस्त में विश्वास करते हुए हृदय को खुला रखने के लिए ख्रीस्तीयों
का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "आगमन काल में येसु से मुलाकात करने के लिए यह आवश्यक
है कि हम उन पर विश्वास करते हुए मन परिवर्तन के लिए अपने हृदय को खुला रखें।" संत
पापा ने पवित्र मिस्सा में सुसमाचार के उस पाठ पर चिंतन किया जहाँ शतपति ने बड़े विश्वास
के साथ येसु से अपने नौकर की चंगाई के लिए प्रार्थना की है। उन्होंने ख्रीस्तीयों को
याद दिलाया कि क्रिसमस मात्र समय की पुनरावृत्ति नहीं है बल्कि प्रभु के साथ मुलाकात
करने हेतु एक यात्रा है जो हृदय एवं जीवन में विश्वास से सम्भव होता है। येसु शतपति के
विश्वास पर अचम्भा करते हैं। संत पापा ने कहा कि एक सेनापति होकर भी उन्होंने ने विश्वास
के साथ प्रभु से मिलने के लिए यात्रा की। इस प्रकार वह न केवल प्रभु से मिला किन्तु प्रभु
से मिल पाने की खुशी का अनुभव किया। "विश्वास की यही मुलाकात वास्तव में हमारी मुलाक़ात
की चाह।" संत पापा ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने आप को प्रभु से मुलाकात करने
के लिए प्रस्तुत करें। जिसके लिए हमें हृदय खुला रखने की आवश्यकता है। जब हम प्रभु से
मुलाकात करते हैं हम एक प्रकार से इस मुलाकात के लिए मास्टर बन जाते हैं किन्तु जब हम
अपने आप को उनसे मुलाकात करने की अनुमति देते हैं तब वे हमारे मन हृदय, आत्मा, जीवन ,आशा
और हमारी यात्रा को पुनः व्यवस्थित कर देते हैं शतपति के समान हम प्रभु से मुलाकात करने
के लिए विश्वास की यात्रा पर हैं विशेष रूप से अपने आपको उनके द्वारा परिवर्तित किये
जाने के लिए। यह खुले हृदय की मांग करता है। संत पापा ने ख्रीस्तीयों से अपील की कि
प्रार्थना में धीरज रखें, जरूरतमंदो के प्रति भ्रातृत्व भाव से उदार बनें एवं ईश्वर की
महिमा में आनन्दित हों तथा खुले हृदय से जिससे कि ख्रीस्त हम से मुलाकात करें।