पूणे, मंगलवार, 3 दिसंबर, 2013 (उकान) भारत के संरक्षक संत फ्राँसिस जेवियर के पर्व के
दिन पुणे प्रोविंस के जेस्विटों ने पुणे में जेस्विट उपस्थिति की 160 वर्षीय जुबिली समारोह
का उद्धाटन किया जो एक साल तक जारी रहेगा। इस अवसर पर पुणे के जेस्विट प्रोविंशल फादर
भाउसाहेब सन्सारे ने उकान समाचार को जानकारी दी कि 160 वर्ष पूर्व जर्मन, स्विस और ऑस्ट्रेलियन
जेस्विटों ने पुणे में अपना कार्य आरंभ किया था। उन्होंने बतलाया कि साल भर चलने
वाले समारोह में विभिन्न स्थानों में प्रदर्शनी लगाये जायेंगे और शिक्षा, समाज सेवा और
साहित्य में आरंभिक जेस्विटों द्वारा किये गये योगदानों की झाँकी प्रदर्शित की जायेगीय़
फादर प्रोविंशयल ने कहा कि पुणे में जेस्विटों का आगमन सन् 1854 इस्वी में हुआ और
तब से जेस्विटों ने पूरे क्षेत्र में अपना विशेष प्रभाव जमाया है। उन्होंने कहा कि
वर्ष भर चलने वाले समारोह में विभिन्न सांस्कृतिक और प्रदर्शनियों के अलावा जेस्विटों
को कार्यों का मूल्यांकन किया जायेगा ताकि भविष्य योजना की रूपरेखा तैयार की जा सके।
विदित हो कि शिक्षा के विख़्यात जर्मन स्विस और ऑस्ट्रिया के जेस्विटों या येसु समाजियों
ने पश्चिमी भारत में कई शिक्षण संस्थाओं की नींव रखी और अपना विस्तार मुम्बई, गोवा, गुजरात
आदि प्रोविंशों के रूप में किया। फादर प्रोविन्शियल ने बतलाया कि पश्चिमी क्षेत्र
में कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा लोगों की सेवायें की जा रहीं हैं जिनमें संत भिन्सेंट
स्कूल, स्तेफन निवास हॉस्टेल, संत भिन्सेंट कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, संत जोसेफ्स नाईट स्कूल,
लोयोला कॉलेज, संत जोसेफ टेक्निकल इन्स्टीट्यूट, स्नेहसदन इन्स्टीट्यूट, डी नोबिली कॉलेज
और ज्ञान दीप विद्यपीठ प्रमुख हैं।