वाटिकन सिटी, सोमवार 2 दिसंबर, 2013 (सीएनए) संत पापा ने आगमन के पहले रविवार के लिये
रोम के बाह्य क्षेत्र में अवस्थित ‘संत सिरिल ऑफ अलेक्सान्द्रिया’ नामक एक पारिस में
यूखरिस्तीय बलिदान चढ़ाया और दृढ़ीकरण संस्कार प्रदान किया। मिस्सा के दौरान प्रवचन
देते हुए संत पापा ने ख्रीस्तीय जीवनयात्रा और येसु से मिलने के बारे में अपना चिन्तन
प्रस्तुत किया। संत पापा ने कहा, "हम आज इस खुद से प्रश्न करें कि हम कब येसु से मिलेंगे,
क्या जीवन के अंत में? नहीं, नहीं, हम येसु से रोज दिन मिल सकते हैं पर कैसे? अपनी प्रार्थना
में।" संत पापा ने कहा, "जब हम प्रार्थना करते हैं तो हमें येसु से मिल सकते हैं।
जब हम परमप्रसाद लेते हैं तो हम प्रभु से मिल सकते हैं। जब हम संस्कार ग्रहण करते हैं
तो येसु से मिल सकते हैं। जब अपने बच्चों को बपतिस्मा संस्कार दिलाते हैं तो हम उन्हें
येसु के पास लाते हैं और इसलिये हम येसु से मिलते हैं।" संत पापा ने लोगों को प्रोत्साहन
देते हुए कहा कि दृढ़ीकरण संस्कार के बाद भी हमारे लिये जीवन भर येसु से मिलने का अवसर
है। उन्होंने कहा, "जब हम प्रार्थना करते, मिस्सा में सहभागी होते, भला कार्य करते,
बीमारों को देखने जाते, गरीबों की मदद करते और जब हम दूसरों का भला सोचते हैं तो हम येसु
ख्रीस्त से मिलते हैं।" उन्होंने कहा, "कई लोग यह सवाल करते हैं कि ‘मैं तो पापी
हूँ बहुत बड़ा पापी, येसु से कैसे मिल सकता हूँ’? संत पापा ने कहा कि येसु पापियों को
ही खोजने और बचाने के लिये दुनिया में आये। येसु ने कहा था, ‘मैं पापियों को बुलाने
आया हूँ उन्हें चंगाई की ज़रूरत है’।" संत पापा ने कहा, "हम येसु के पास आये और उनसे
मिलें वे हमें बड़े स्नेह से देखते हैं और हमें सदा प्यार करते हैं। ख्रीस्तीय जीवन येसु
से मिलने की एक यात्रा है जिसमें हम एक-दूसरे के साथ चलते हैं और एक - दूसरे को प्यार
करते हैं।" हम निराश न हों, पूरे उत्साह से येसु से मिलने के लिये आगे बढ़े।