2013-12-02 14:57:46

आगमन काल ख्रीस्त के साथ ईश्वरीय प्रजा की एक यात्रा


वाटिकन सिटी, सोमवार 2 नवम्बर 2013 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, रविवार 1 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को संबोधित कर कहा,
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
आज हम आगमन काल के प्रथम रविवार की शुरूआत कर रहे हैं। पूजन पद्धति के अनुसार हम नये वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। यह येसु ख्रीस्त के साथ ईश्वरीय प्रजा की एक नयी यात्रा है। येसु ख्रीस्त हमारे गड़ेरिये जो मुक्ति इतिहास में ईश्वर के राज्य की ओर हमारा पथ प्रदर्शन करते हैं। इस दिन की अपनी खासियत है एवं इसमें इतिहास की गूढ़ भावना निहित है। अतः हमें एक साथ यात्रा करने की सुन्दरता को पुनः पहचानना है। कलीसिया अपनी बुलाहट एवं मिशन के साथ समस्त मानव जाति, सभ्यता एवं संस्कृति, सभी काल के साथ एक यात्रा पर हैं।
संत पापा ने प्रश्न किया, "हम किस यात्रा हैं?" प्रभु हमें नबी इसायस के द्वारा उत्तर देते हैं, वे कहते हैं "अन्तिम दिनों में- ईश्वर के मन्दिर का पर्वत पहाड़ों से ऊपर उठेगा और पहाड़ियों से ऊँचा होगा। सभी राष्ट्र वहाँ इकट्ठे होंगे; असंख्य लोग यह कहते हुए वहाँ जायेंगे, ''आओ! हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें, याकूब के ईश्वर के मन्दिर चलें, जिससे वह हमें अपने मार्ग दिखाये और हम उसके पथ पर चलते रहें''; क्योंकि सियोन से सन्मार्ग की शिक्षा प्रकट होगी और येरुसालेम से प्रभु की वाणी।"(इसा.2:2-3) हमारे लक्ष्य के बारे में नबी इसायास यह भविष्यवाणी करते हैः यह एक सर्वलौकिक तीर्थयात्रा है अपने अंतिम लक्ष्य की ओर। पुराने व्यवस्थान के अनुसार यह यात्रा है य़ेरुसालेम की। जहाँ ईश्वर का मंदिर अवस्थित है। नबी इसायस य़ेरुसालेम मंदिर की ओर हमारा लक्ष्य बताते हैं क्योंकि यहीं ईश्वर का रूप एवं उनकी संहिता प्रकट हुई है। इस प्रकाशना ने येसु ख्रीस्त में अपनी पूर्णता प्राप्त की है तथा येसु स्वयं ईश्वर के मंदिर हैं। शब्द ने शरीर धारण किया। वे हमारा मार्ग दर्शक हैं तथा हमारे एवं समस्त ईश्वरीय प्रजा के तीर्थयात्रा का लक्ष्य निर्धारण करते हैं। ख्रीस्त के प्रकाश से अन्य लोग भी न्याय एवं शांति के राज की आगे बढ़ सकते हैं। नबी कहते हैं," वह राष्ट्रों के बीच न्याय करेगा और देशों के आपसी झगड़े मिटायेगा। वे अपनी तलवार को पीट-पीट कर फाल और अपने भाले को हँसिया बनायेंगे। राष्ट्र एक दूसरे पर तलवार नहीं चलायेंगे और युद्ध-विद्या की शिक्षा समाप्त हो जायेगी।" (2:4) संत पापा ने नबी की इस भविष्यवाणी को पुनः दुहराते हुए कहा कि वह कितना महान दिन होगा जब हथियारों को पीट-पीट कर उन्हें काम करने के औजार में बदल दिया जाएगा। यह सचमुच कितना महान दिन होगा। हम शांति की आशा करते हैं जो संभव है।
इस यात्रा का कोई अन्त नहीं है। हम प्रत्येक के जीवन में आवश्यकता है, निरंतर सहभागी होने, पवित्रता में बढ़ने एवं अपने अस्तित्व के लक्ष्य की खोज करने की। इस प्रकार समस्त मानव परिवार को निरंतर मुख्य लक्ष्य को नवीकृत करते रहने की जरूरत है। मुख्य लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए आशा के साथ यात्रा सर्वोत्तम है।
संत पापा ने ईश्वर से प्रार्थना की, "आज जब हम पुनः आगमन काल आरम्भ करते हैं। ईश्वर हमें आशा की क्षितिज प्रदान करे। वह आशा जो उनके वचनों पर आधारित है तथा हमें कभी निराश नहीं करती क्योंकि ईश्वर सदा विश्वस्त बने रहते हैं हम आशा की इस सुन्दरता को अनुभव कर सकें।"
आशावान आध्यात्मिक भावना से जीने तथा जीवन यात्रा में आगे बढ़ने के लिए कुँवारी मरियम हमारी आदर्श हैं। गाँव की एक साधारण लड़की जिन्होंने ईश्वर के हृदय की पूरी आशा को दुनिया में लाया। उनके गर्भ में ईश्वर की आशा ने शरीर धारण किया, मानव बना तथा येसु ख्रीस्त के रूप में इतिहास की रचना की। माँ मरिया का स्तुति गान, ईश्वर की प्रजा एवं उन सभी लोगों के लिए जीवन यात्रा का स्तुति गान है जो ईश्वर एवं उनकी दया पर भरोसा करते हैं। हम उन्हें अपना संचालन करने दें। वे हमारी माँ हैं तथा हमारी अगुवाई करना जानती हैं।
इन्तज़ार एवं सक्रिय चौकसी की इस घड़ी में हम उन्हें अपना संचालन करने दें।
इतना कहने के पश्चात संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने कहा, " प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज विश्व एच आई वी या एड्स दिवस है। मैं इस रोग के पीडित सभी लोगों को अपनी आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करता हूँ विशेषकर बच्चों को। हम उनके साथ, उनकी सेवा में समर्पित सभी मिशनरी एवं अन्य लोगों की भी याद करते हैं जो चुपचाप उनकी सेवा करते हैं। हम सभी चिकित्सकों एवं अन्वेषकों के लिए प्रार्थना करते हैं। पीड़ित सभी भाई-बहनें अपनी आवश्यकता की सुविधा प्राप्त कर सकें।
अंत में संत पापा ने सभी पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया तथा सभी को शुभ आगमन काल की मंगल कामना अर्पित की।








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