2013-11-28 14:52:40

समाज में भेदभाव को खत्म कर विकास में मदद करना चाहते हैं शंताकुमार


कोलम्बो, बृहस्पतिवार, 28 नवम्बर 2013 (एशियान्यूज़): श्रीलंका में निवास कर रहे घुमंतु जाति के 21 वर्षीय ख्रीस्तीय, एरानाज शंताकुमार जयाराथन अपने समाज में भेदभाव की भावना को खत्म करने के लिए देश की परम्परा, संस्कृति एवं मूल्यों को नष्ट किये बिना सामाजिक व्यवस्था में सुधार कर उन्हें विकास में मदद करना चाहते हैं।
उनका कहना है, "मैं इस दुःखद सामाजिक संरचना को बदलना चाहता हूँ किन्तु अपने माता-पिता एवं समुदाय द्वारा हमारे परम्परागत धरोहर एवं मूल्यों को पूरी तरह बनाए रखना चाहता हूँ।"
शंताकुमार अनुराधापुर जिले के कुदागामा बस्ती का है जिसमें जहाँ करीब 300 परिवार रहते हैं। वहाँ के सभी लोग ‘असेम्बली ऑफ गॉड’ कलीसिया के सदस्य हैं। कम उम्र के होने पर भी शंताकुमार शादी गाँव की एक लड़की से हो चुकी है। अपने गाँव में वह उन लड़कों में से एक है जिन्होंने शिक्षा प्राप्त कर ली हैं। उनका कहना है, "स्कूल जाने के बाद मैंने गालगामूवा में विद्युत पर एक कोर्स किया है जिसके द्वारा मैंने रेडियो, टेलीविजन एवं अन्य विद्युत कल-पूर्जों को मरम्मत कर सकता हूँ। मैंने फोटोग्राफी का प्रशिक्षण भी लिया है।"
इस प्रशिक्षण द्वारा उसने ‘एस. के. स्टूडियो एवं एलक्ट्रोनिक’ नामक एक दुकान खोला है जिसमें वह खुद अपनी जीविका अर्जित कर रहा है तथा दो अन्य व्यक्तियों को भी काम पर लगाया है।
उन्होंने बतलाया कि उनके परिवार में प्रार्थना बहुत महत्वपूर्ण है तथा इसके लिए वे कम से कम एक घंटा रोज समय देते हैं। शंताकुमार का मानना है कि उनके जीवन एवं परिवार में उन्नति ईश्वर की कृपा से ही संभव हुई है। वे अपने जीवन, परिवार एवं मित्रों के साथ खुश हैं। उनका सबसे बड़ा स्वप्न है युवाओं को उनके जीवन निमार्ण तथा समाज में प्रतिष्ठा पूर्ण जीवन बिताने में मदद करना।
विदित हो कि घुमंतू जाति एक ऐसी जाति है जो जीवन भर खानाबदोश का जीवन व्यतीत करती है।








All the contents on this site are copyrighted ©.