संत पापा फ्राँसिस की भाषा - सरल, स्पष्ट और आशावादी।
वाटिकन सिटी, बुधवार, 28 नवम्बर, 2013 (सीएनए) नये सुसमाचार प्रचार के लिये बनी परमधर्मपीठीय
समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष रिनो फिसीकेल्ला ने कहा, " संत पापा फ्राँसिस ने अपने
पहले प्रेरितिक प्रबोधन ‘एवान्जेली गौदियुम’ अर्थात् ‘आनन्द का सुसमाचार’ में सुसमाचार
प्रचार को एक नयी दृष्टि देते हुए कलीसिया के मिशन को निश्चित दिशा दी है।" ‘सीएनए’(कैथोलिक
न्यूज़ एजेन्सी) के साथ हुए अपने साक्षात्कार में महाधर्माध्यक्ष फिसीकेल्ला ने कहा,
"पापा फ्राँसिस के बोलने की शैली सीधी, आसान और अभिव्यक्तिपूर्ण है जो सुनने वाले के
मन-दिल को तुरन्त छू लेती है।" उन्होंने कहा, "संत पापा जिस तरह की भाषा का प्रयोग
करते हुए हमारी बुलाहट और चुनौतियों को प्रस्तुत करते हैं वैसी भाषा का प्रयोग हम रोजमर्रा
की ज़िन्दगी में करते हैं।" महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "संत पापा का प्रेरितिक प्रबोधन
या प्रोत्साहन मुख्य रूप से ख्रीस्तीयों को संबोधित किया गया है ताकि वे सुसमाचार के
मूल्यों की पुनः पहचान करें और मिशनरी कार्यों को नये उत्साह से करें।" मालूम हो
कि संत पापा ने अपने पहले प्रेरितिक प्रबोधन में कहा था कि ‘सुसमाचार प्रचार करने वाला
समुदाय अपने वचन और कर्म दोनों से अपने दैनिक जीवन में मानव जीवन को गले लगाता, आपसी
दूरियाँ कम करता और दुःखियों में येसु को पहचानता है’। उधर सामाजिक सम्प्रेषण के
लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष कलाउदियो मरिया चेल्ली ने कहा
कि संत पापा ने अपने ‘सादगी’ पर बल दिया है। संत पापा हवा में बातें नहीं करते, उनकी
भाषा आम आदमी की भाषा है जिसे हर व्यक्ति समझता है। उन्होंने कहा कि संत पापा फ्राँसिस
की भाषा विशेषता है- सरल, स्पष्ट और आशावादी। धर्माध्यक्षों की महासभा (सिनॉद ऑफ बिशप्स)
के महासचिव महाधर्माध्यक्ष लोरेंजो बाल्दीसेरी ने बताया कि संत पापा का प्रेरितिक प्रबोधन
‘नया सुसमाचार’ विषय पर धर्माध्यक्षों की महासभा, 2012 के ही सलाह का ही परिणाम है पर
इस ‘पोस्ट सिनॉदल एक्सहोर्टेशन’ या ‘उत्तर धर्माध्यक्षीय प्रेरितिक प्रबोधन’ नहीं कह
सकते हैं क्योंकि संत पापा ने इस ‘वृहत कार्यक्रम संबंधी’ दस्तावेज़ बनाना चाहा है।