श्रोताओं के पत्र पत्र- 12.9.13 किसी देश की राष्ट्रभाषा उस देश की राष्ट्रीय अस्मिता
की प्रतीक होती है। यह राष्ट्र के ह्रदय की वाणी होती है। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी अत्यंत
ही वैज्ञानिक भाषा है। इसका शब्दकोश दुनिया का समृद्धतम शब्दकोश है। अन्य भाषाओं के प्रति
मैत्री का भाव रखना इसकी सबसे बड़ी खूबी है। जब भी कोई विदेशी भाषा इसके सान्निध्य में
आयी, उसके सुपाच्य शब्दों को पचा लिया। अपनी सैकड़ों बोलियोँ से मधुर संबंध रख कर अपने
शब्द भंडार को अक्षय बनाये रखा, फिर भी हिंदी तमाम भाषाई सुंदरता से धनी होते हुए भी
स्थान नहीं प्राप्त कर सकी है, जिसकी वह सच्ची अधिकारी है। उदारीकरण की नीतियों से हिंदी
को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। अतः सभी दोस्तों को हिँदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
देता हूँ। डॉ. हेमान्त कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिसर्न्स क्लब के अध्यक्ष, गोराडीह,
भागलपुर।
पत्र 2.11.13 20 अक्तूबर को शाम 8 बजे 25 मीटर बैंड पर ‘नई दिशाएँ’
कार्यक्रम के तहत ‘धार्मिक सहिष्णुता’ पर एक लघु चर्चा प्रसारित किया गया, काफी रोचक
लगा। साथ ही साथ ‘चेतना जागरण’ के तहत ‘सर सलामत तो पगड़ी हज़ार’ विषय पर एक लघु नाटिका
सुना। काफी पसंद आया। इसके लिए आप सभी को धन्यवाद। क्योंकि कोई भी नियम कानून जीवन को
सरल बनाने के लिए होता है। आज कल प्रसारण काफी साफ सुनाई पड़ रहा है। वाटिकन भारती पत्रिका
भेज दें। रजनीश कुमार, मध्यमाथ, मुजफ्फरपुर, परसा पाती, बिहार।
पत्र- 28.10.13 प्यार
क्या है? प्यार वो है जब माँ रात को पास आकर कहती है "बेटे सो जाओ बाकी सुबह उठकर पढ़
लेना" प्यार वो है जब हम ट्यूशन से वापस आते हैं तो पापा कहते हैं बेटे देर से आना हो
तो फोन कर देना। प्यार वो है जब बहन कहती है मेरी शादी के बाद मुझसे झगड़ा कौन करेगा।
प्यार वो है जब हम परेशान होते हैं तो भाई कहता है चल कहीं घूमने चलें। प्यार वो है जब
सबसे अच्छा दोस्त कहता है मर गये या जिंदा हो। बस प्यार वो नहीं होता कि जिसमें बाहों
में बांह डाल के शहर में घूमना तथा अशलील फैशन दिखाना। डॉ. हेमान्त कुमार, प्रियदर्शनी
रेडियो लिसर्न्स क्लब के अध्यक्ष, गोराडीह, भागलपुर।
पत्र. 30.10.13 मैं वाटिकन
रेडियो का बहुत पुराना श्रोता हूँ। 30 अक्तूबर का कार्यक्रम काफी अच्छा लगा जिसके लिए
आप सभी को हार्दिक धन्यवाद। कृपाराम कागा।
पत्र-5.11.13 प्यारे फादर जस्टिन,
सिस्टर उषा एवं जुलियट ख्रीस्टोफर आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मैं आप सभी
को सूचित करता हूँ कि करीब एक महीना मैं पल्ली से बाहर गया हुआ था एवं अभी पुनः वापस
आ गया हूँ। उन दिनों मैंने जिन से मुलाकात किया, सभी को वाटिकन रेडियो की जानकारी दी,
तथा डाउन लॉड कर सुनने का तरीका भी बतलाया। मैंने कैम्पबेल बे पल्ली में ऐसे अवसरों
का भी आयोजन किया जब मेरे हिन्दू मित्रों को एकत्र कर वाटिकन रेडियो कार्यक्रम सुनाया।
मैं पल्ली के विश्वासियों को चयनित कार्यक्रम सुनाता हूँ। फादर जस्टिन को धन्यवाद क्योंकि
वे ई-मेल में कार्यक्रमों को भेजते रहते हैं। ईश्वर आप तीनों के कार्यों पर आशीष प्रदान
करे। जय येसु। फादर सिप्रियन ख़लखो, कैम्पबेल बे, अण्डामान।