वाटिकन सिटी, शुक्रवार 22 नवम्बर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने वृहस्पतिवार
21 नवम्बर को रोम स्थित कमालदोलेसे की संत अनतोनियो अबाते मठ का दौरा किया। वह उन्होंने
मठवासी धर्मबहनों के साथ सान्ध्य प्रार्थना में हिस्सा लिया और माता मरिया के मंदिर में
समर्पण का त्योहार मनाया। अपने प्रवचन में संत पापा ने कहा कि माता मरिया आशा की
माता है। उन्होंने धर्मबहनों को आशा की महिलायें कहा। उन्होंने कहा कि आशा ईशवचन सुनने,
चिन्तन करने और धैर्य से मजबूत होती है। संत पापा ने कहा कि माता मरिया जब क्रूस के
नीचे थी तो ऐसा लगा की अब सबकुछ समाप्त हो गया है पर उसकी आशा जीवित थी। माता मरिया
को भी कई बार लगा कि जो कुछ दूत ने कहा है उसके विपरीत हो रहा है, मेरे साथ धोखा हुआ
है पर उसने ऐसा नहीं कहा और पूरी आशा के साथ दूत के शब्द पर विश्वास किया और उसी विश्वास
तथा आशा के कारण उसने एक नयी सुबह का इन्तज़ार किया। संत पापा ने कहा कि माता मरिया
के लिये येसु की कब्र में सिर्फ़ एक ही दीपक था वह था - आशा का दीपक। आज भी वह दीपक मठों
में जलता है, आशा की माता उसे जीवित रखती है ऐसे समय में भी जब हम कठिनाइयों परेशानियों
और पराजय के दौर से गुज़रते हैं। उन्होंने प्रार्थना की आशा हमारे लिये और अपने पड़ोसियों
के लिये हमारी ओर से एक उपहार हो।