2013-11-20 14:26:37

केरल काथलिक कलीसिया पश्चिम घाट के किसानों के साथ


कत्तापना, केरल, बुधवार 20 नवम्बर, 2013 (उकान) केरल के पश्चिमी घाट में सदियों से बसे किसानों को हटाये जाने के सरकारी योजना के विरुद्ध में काथलिक कलीसिया के अधिकारियों ने अपना विरोध प्रकट किया है।

इड्डुकी धर्मप्राँत के समाज विकास संस्थान के निदेशक फादर सेबास्तियन कोचुपुराकल ने कहा कि अगर कस्तरियन कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी योजना का कार्यान्वयन किया गया तो या तो कृषकों की ज़मीन का अधिग्रहण कर लिया जायेगा या छोटे किसानों के फार्म बन्द हो जायेंगे और उन्हें वहाँ से विस्थापित होना पड़ेगा।

विदित हो कि कस्तरियन कमिटी ने पर्यावरण की रक्षा के लिये एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें सरकारी योजना के बारे में जानकारी दी गयी है। इसके तहत् वेस्टर्न घाट के कई लोगों को विस्थापित होने की नौबत आ जायेगी।

एक ओर सरकारी दावे हैं कि वे पर्यावरण की रक्षा करना चाहते तो दूसरी ओर कृषकों ने कहा है कि हम उस स्थान को नहीं छोड़ेंगे जहाँ हमारा जन्म हुआ है।

रिपोर्ट के प्रकाशित होते ही प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने रविवार 17 नवम्बर की रात 48 घंटे का विरोध दिवस मनाते हुए यातायात को रोका, स्कूल बन्द कराये और व्यावसायिक केन्द्रो के क्रिया-कलापों में बाधायें डाली।

रिपोर्ट के अनुसार इड्डुकी जिले के 123 गाँव प्रभावित होंगे और इसके अन्दर 5 हज़ार एकड़ भूमि प्रभावित होगी। काथलिक स्रोत बतलाते हैं कि यदि सरकारी योजना को लोगू किया गया तो इससे सन् 1960 से लेकर अब तक बसे करीब 8 लाख लोगों प्रभावित होंगे।
एक हिन्दु प्रदर्शनकारी 19 वर्षीय मधु अनुप, ने बतलाया कि वह कलीसिया के पक्ष का समर्थन करती है।

उन्होंने कहा, "यह लड़ाई न्याय की लड़ाई है, धर्म की नहीं। हम यहाँ वर्षो से रह रहे हैं और अब हम यहाँ से उठकर भागनेवाले नहीं हैं।"

मालूम हो कि इस विरोध रैली में सैकड़ो मुसलमान और कमजोर वर्ग के दलितों ने भी हिस् लिया।

यह भी विदित को इड्डुकी धर्मप्राँत के धर्मपत्र में कलीसिया ने इस बात की चेतावनी दी गयी थी कि यदि इस वेस्ट घाट के लोगों के प्रति ध्यान ने दिया गया तो इसका विरोध किया जायेगा।।

इड्डुकी के धर्माध्यक्ष मैथ्यु अनुकुझीकतिल ने स्थानीय सांसद पीटी थोमस से कहा है कि यदि वे इस संबंध में कुछ नहीं करते तो सन् 2014 के चुनाव में विजयी नहीं हो पायेंगे।

उधर पर्यावरण विशेषज्ञ सीआर नेलाकन्तन का मानना है कि सरकारी योजना के लागू होने से ही इससे पर्यावरण की रक्षा हो पायेगी।










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