वाटिकन सिटी, बुधवार 13 नवम्बर, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने
इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम काथलिक कलीसिया
के प्रेरितों के धर्मसार संबंधी धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए बपतिस्मा संस्कार पर
चिन्तन करें।
प्रत्येक रविवार को जब हम प्रेरितों का धर्मसार प्रार्थना के द्वारा
विश्वास की घोषणा करते हैं तो हम कहते हैं मैं एक बपतिस्मा और पापों की क्षमा की घोषणा
करता हूँ। मैं घोषणा करता हूँ इस बात को इंगित करता है कि बपतिस्मा संस्कार कितना
महत्वपूर्ण है जो इस बात की पुष्टि करता है कि हम ईश्वर की संतान है।
बपतिस्मा
संस्कार में हमारे विश्वास को पाप क्षमा से जोड़ कर देखते हैं। इस तरह से बपतिस्मा
का अर्थ है पाप से मुख मोढ़कर पश्चात्ताप की यात्रा करना और मेलमिलाप संस्कार द्वारा
इसे सुदृढ़ करना।
बपतिस्मा का शाब्दिक अर्थ होता है पानी में डुबोया जाना। जब
हम बपतिस्मा संस्कार ग्रहण करते हैं तब हम आध्यात्मिक रूप से येसु की मृत्यु में डुबोये
जाते और उन्हीं के साथ नया जीवन पाते और एक नयी सृष्टि बन जाते हैं। तब हम जल और पवित्र
आत्मा से नया जीवन पाते और कृपाओं से प्रज्वल्लित होते जो हमें पाप के अंधकार से दूर
कर देता है।
अब हम पापों की क्षमा पर चिन्तन करें। इसका अर्थ होता है बपतिस्मा
हमारे आदि पाप और व्यक्तिगत पापों को धो डालता है। इस तरह से एक नया दरवाज़ा खुल जाता
है और हम ईश्वर की दयालुता हमारे जीवन में प्रवेश करती है। ऐसा होने के बाद भी मानव कमजोरियाँ
हममें बनी रहतीं हैं। और इसीलिये कलीसिया चाहती हा कि हम नम्रतापूर्वक अपने पापों को
स्वीकार करें। ऐसा इसलिये क्योंकि पापों की क्षमा देने और पाने से हमारे दिल को शांति
और आनन्द प्राप्त होता है।
इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त
की।
उन्होंने इंगलैंड, वेल्स वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड आयरलैंड, फिलीपीन्स,
नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों,
उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और
दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।