वाटिकन सिटी, बुधवार, 13 नवम्बर 2013 (वीआर, सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 12 नवम्बर
को वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मार्था में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए उपदेश में
ईश्वर के स्नेहिल हाथों पर चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने उपदेश में प्रज्ञा ग्रंथ
पर प्रकाश डाला, जहाँ बताया गया है कि हमारी सृष्टि ईश्वर के हाथों द्वारा मिट्टी से
हुई है। "उन हाथों द्वारा जो कभी हमारा परित्याग नहीं करते।" ईश्वर ने मानव को पवित्र
होने के लिए बनाया किन्तु शैतान इस संसार में घुस गया। संत पापा ने कहा, "हम सभी
को मृत्यु से होकर गुजरना है किन्तु दो प्रकार से। एक शैतान की सदस्यता का अनुभव करते
हुए अथवा ईश्वर के हाथों के सहारे यानी ईश्वर के रास्ते पर चलकर। ईश्वर उस पिता के समान
हैं जो अपने पुत्रों को हाथ से पकड़ कर चलना सिखाते हैं। वे हमें जीवन एवं मुक्ति के
मार्ग पर चलना सिखाते हैं। वह ईश्वर का ही हाथ हैं जो हमें दुःख की घड़ी संभालता है और
सहानुभूति प्रदान करता है। ईश्वर का हाथ हमारे प्यार के खातिर कुचला गया एवं हमारे घाँव
को चंगा करता है। संत पापा ने कहा, "मैं यह कभी कल्पना नहीं कर सकता कि ये हाथ हमें थप्पड़
मार सकते हैं यहाँ तक कि उस समय भी जब वे हमें डाँटते हैं। वे जो कुछ भी करते हैं प्यार
से करते हैं।" संत पापा ने अंत में माता-पिताओं से अपील की कि वे ईश्वर के हाथ जिसने
एक शिल्पकार की तरह हमें गढ़ा है पर चिंतन करें। वे घायल हाथ हैं एवं जीवन भर हमारा साथ
देते हैं। आइये हम बच्चों के समान अपने आप को ईश्वर के हाथों सिपुर्द करें।