संत पापा फ्राँसिसः ख्रीस्तीय पापी हो सकता है, भ्रष्ट नहीं
वाटिकन सिटी, सोमवार, 12 नवम्बर, 2013 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने 11 नवम्बर
सोमवार को वाटिकन सिटी स्थित सांता मार्था निवास के प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय बलिदान
के समय प्रवचन देते हुए कहा ‘पापी और भ्रष्ट लोगों’ पर चिन्तन प्रस्तुत किया।
संत
पापा ने कहा, "ऐसे लोग सावधान रहें जो देश और गरीबों को लूटकर चर्च को दान देते हैं।"
संत पापा ने पाप और भ्रष्टाचार का अन्तर समझाते हुए कहा, "पाप करने वाला व्यक्ति
पश्चात्ताप करता और ईश्वर से क्षमा की याचना करता है। उसे अपनी कमजोरी का आभास होता है
और ईश्वर की नम्र संतान बनकर मुक्ति की इच्छा करता है।"
उन्होंने कहा, "दूसरी
ओर जो व्यक्ति बुरा अनैतिक आचरण वाला व्यक्ति पश्चात्ताप नहीं करता और पाप करना जारी
रखता और ख्रीस्तीय होने का ढोंग रचता और दोहरी ज़िन्दगी जीता है जिससे समाज दुषित होता
है। वह एक हाथ कलीसिया का हितकारी होने का दावा करता पर दूसरे हाथ से देश और गरीबों का
हक मारता है।"
संत पापा ने कहा, "लूटना अन्याय और दोहरी जिन्दगी है। जहाँ धोखा
है वह ईश्वर का आत्मा निवास नहीं कर सकता है। जो भ्रष्ट हैं वे नम्रता का अर्थ नहीं समझते
इसी लिये येसु ऐसे लोगों को लिपी हुई कब्र कहते हैं। बाहर से चमचमाते पर अन्दर सड़े और
बदबु से पूर्ण।"
उन्होंने कहा, "एक ख्रीस्तीय जो ख्रीस्तीय होने का दवा करता
है पर ख्रीस्तीय जीवन नहीं जीता वह भ्रष्ट है और भ्रष्ट जीवन ‘सड़े हुए में वर्निश किया
हुआ’ जीवन है।"
संत पापा ने यूखरिस्तीय बलिदान में उपस्थित लोगों से कहा, "हम
ईश्वर से याचना करें ताकि हम अपने को पहचान सकें कि हम पापी हैं, पापी पर भ्रष्ट नहीं।"