2013-11-09 14:52:42

व्यक्ति की मर्यादा लूट लेता है भ्रष्टाचार


वाटिकन सिटी, शनिवार, 9 नवम्बर 2013 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 8 नवम्बर को, प्रेरितिक आवास संत मार्था में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। पावन ख्रीस्तयाग के दौरान उन्होंने उपदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बल देते हुए कहा कि यह व्यक्ति की मर्यादा को लूट लेता है।
उन्होंने कहा, "यह एक घोर पाप है।" बेईमान करिन्दा के दृष्टांत पर चिंतन करते हुए संत पापा ने इस मनोभाव को "दुनियादारी की भावना" कह कर निंदा की।
संत पापा ने याद दिलाया कि सांसारिक विचारधारा एवं भोगविलास की जीवन शैली से शैतान प्रसन्न होता है जिसका उदाहरण सुसमाचार में वर्णित करीन्दा है। कोई कह सकता है कि कई अन्य लोग भी ऐसा करते हैं किन्तु संत पाप ने मना करते हुए कहा, नहीं, सभी नहीं केवल कुछ कंपनी, जनता एवं सरकारी प्रशासक, शायद कम ही लोग ऐसा करते होंगे। उन्होंने कहा कि घूस लेना दुनियादारी और अत्यंत घृणित आदत है जो जीविका अर्जित करने का सहज उपाय प्रतीत होता है। यह ईश्वर जिन्होंने मानव को अपनी जीविका कमाने का आदेश दिया उनसे नहीं आता है। सच्ची जीविका ईमानदारी से अर्जित की जाती है।
संत पापा ने कहा इस बेईमानी करीन्दा ने अपनी बेईमानी से कलंकित भोजन को घर लाया तथा अपने बच्चों को खिलाया, शायद महँगे कॉलेजों में शिक्षा दिलवाई। उन्होंने कहा कि कलंकित भोजन को घर लाने द्वारा पिता ने अपनी पहचान खो दी। इसकी शुरुआत छोटी घूस से हो सकती है किन्तु यह ड्रग के समान है। संत पापा ने कहा कि सांसारिक शठता की तरह ख्रीस्तीय शठता भी है जो सांसारिक मनोभव से नहीं किन्तु ईमानदारी से दृढ़ होती है। साँप के समान चतुर एवं कपोत के समान निष्कपट बनने की येसु की सलाह का यही अर्थ है। इन दोनों का समन्वय सिर्फ पवित्र आत्मा की कृपा से सम्भव है। हमें ईश्वर से यही वरदान मांगने की आवश्यकता है।
संत पापा ने अपने उपदेश के अंत में उन बच्चों एवं युवाओं के लिए प्रार्थना की जो अपने माता-पिताओं के द्वारा भ्रष्टाचार से कलंकित भोजन ग्रहण करते हैं। वे भी भूखे हैं तथा गरिमा से वंचित हैं। संत पापा ने उन लोगों के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया जो घूस के देवता के प्रति विश्वस्त रहते हैं।








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