2013-11-07 14:57:29

एकजुटता और सेवा की मांग भारत के ग़रीबों के लिए


मुम्बई, बृहस्पतिवार, 7 नवम्बर 2013 (वीआर सेदोक): "भारत की कलीसिया ग़रीबी एवं देश में घोर विरोधाभास की स्थिति के प्रति मौन साक्षी बन कर नहीं रह सकती।"
उक्त बात विचार मुम्बई के सहायक धर्माध्यक्ष अग्नेलो रुफिनो ग्रेसियसउस ने उस समय कहा जब मुम्बई में द्वितीय वाटिकन महासभा के प्रकाश में कलीसिया की सामाजिक शिक्षा पर एक विचार-गोष्ठी को संबोधित किया।
ईशशास्त्र एवं धर्मशिक्षा संबंधी भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष, मुम्बई के सहायक धर्माध्यक्ष अग्नेलो रुफिनो ग्रेसियस ने कहा, "हमने आधुनिक भारत पर विचार किया है। हमारा देश आर्थिक एवं तकनीकी के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। संचार माध्यमों एवं वैश्विकरण के प्रभाव से एक रुपता में बढ़ रहा है किन्तु भारत की एक कमजोर पक्ष भी है।"
उन्होंने कहा कि संत पापा फ्राँसिस की इच्छा है कि हम कलीसिया एवं समाज के सबसे ग़रीब तबक़े के लोगों की सेवा के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए उदारता कार्यों में अधिक से अधिक हाथ बटायें।
मुम्बई में विश्वास वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विचार गोष्ठी में 44 धर्मप्रातों से धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्म समाजियों समेत करीब 550 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
विदित हो कि भारत एक विशाल देश है, एक और यह आर्थिक रूप से तेजी से विकास कर रहा है किन्तु दूसरी ओर गरीबों की संख्या में भी बृद्धि हो रही है। हर तीन व्यक्तियों के बीच एक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है। 300 मिलयन लोग जीविका की तलाश में पलायन कर चुके हैं।
ग्लॉबल हंगर इंडेक्स रिपॉर्ट के अनुसार सन् 2011 से सन् 2013 ई. के बीच विश्व की एक चौथाई गरीब जनसंख्या भारत में बतायी गई है। विश्व के कुपोषण के शिकार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में 43.5 प्रतिशत बच्चे भारतीय हैं।








All the contents on this site are copyrighted ©.