ख्रीस्तीय जीवन का सार है - प्रभु येसु के भोज में शामिल होना
वाटिकन सिटी, बुधवार 6 नवम्बर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 5 नवम्बर
को वाटिकन स्थित संत मार्था निवास के प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय बलिदान में उपदेश देते
हुए कहा, "ख्रीस्तीय जीवन का सार है प्रभु येसु के भोज में शामिल होना।" उन्होंने
कहा कि हमें प्रभु येसु के आमंत्रण के प्रति उदासीन हो ही नहीं सकते। संत पापा ने
कहा, "आप उस आनन्द में सहभागी होने के लिये बुलाये गये हैं जो मुक्तिदाता येसु के द्वारा
प्राप्त होती है, जो येसु मसीह के जीवन में सहभागी होने से मिलती है। यह एक भोज है और
हर व्यक्ति इस भोज में आमंत्रित है।" संत पापा ने उपदेश के आरंभ में कहा, "आज के
पाठ एक ख्रीस्तीय की सच्ची पहचान को प्रकट करते हैं। ख्रीस्तीय जीवन एक निमंत्रण है –
एक खुला आमंत्रण ताकि जीवन को बचाया जा सके, व्यक्ति को मुक्ति प्राप्त हो।" उन्होंने
कहा, "ख्रीस्तीय जीवन एक ऐसी ‘पार्टी’ है जहाँ व्यक्ति एक साथ जमा होते, बातचीत करते,
हँसते-गाते और एक साथ खुशियाँ मनाते हैं।" संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय जीवन का
अर्थ है येसु के शरीर में शामिल होना, ख्रीस्तीय जीवन में शामिल होना। उन्होंने कहा,
"कलीसिया सिर्फ़ भले लोगों की कलीसिया नहीं हैं।ईश्वर अपने भोज में सबों को आमंत्रित
करते हैं ऐसों को भी जो समाज से दरकिनार कर दिये गये हैं या उपेक्षित हैं। ईश्वर बुरे
और भले सबों को आमंत्रित करते हैं।" संत पापा ने कहा कि हम सबमें गुण और क्षमतायें
हैं और भोज में हम सबकुछ एक साथ लेकर आते हैं और हमें चाहिये कि हमें भोज में पूर्णरूप
से हिस्सा लें। उन्होंने कहा, "कलीसिया सबों की कलीसिया है हम किसी एक को नहीं चुन
सकते हैं। कलीसिया की सूची में शामिल होना मात्र ख्रीस्तीयता नहीं है पर ज़रूरी है उसमें
सहभागी होना।" सहभागी होने का अर्थ है उन बातों के प्रति उत्तरदायी और वफ़ादार होना
जिन्हें करने का आमंत्रण प्रभु हम सबों को देते हैं। संत पापा ने कहा, "आज ज़रूरत
है येसु के आमंत्रण को स्वीकार करना, भोज में शामिल होने और अपने गुणों तथा क्षमताओं
से कलीसिया के लोगों मजबूत करने की।"