पवित्र आत्मा के प्रति वफ़ादार लोगों
को अनन्त जीवन की प्राप्ति
वाटिकन सिटी, सोमवार 4 नवम्बर, 2013
(सेदोक,वीआर) संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में उन कार्डिनलों
एवं धर्माध्यक्षों की आत्माओं की शांति के लिये प्रार्थना की जो वर्ष 2013 में स्वर्ग
सिधारे।
पवित्र मिस्सा के दौरान प्रवचन देते हुए
संत पापा ने कहा, "नवम्बर महीने के आध्यात्मिक माहौल में हम मृत विश्वासियों, धर्माध्यक्षों
और कार्डिनलों की याद करते हैं जो पिता ईश्वर के द्वारा बुला लिये गये हैं। ईश्वर उन
सबों को अनन्त शांति और स्वर्ग का पुरस्कार प्रदान करे जिसकी उन्होंने प्रतिज्ञा की थी।"
उन्होंने कहा, "हमने संत पौल की बातों
को सुना है जो कहते हैं न मृत्यु, जीवन, दूःख, दुनिया की वस्तुएँ, न ही आनेवाले पुरस्कार,
कोई अन्य शक्तियाँ या कोई जीव-जन्तु मुझे येसु मसीह के प्रेम से अलग कर सकता है।"
इस
तरह प्रेरित पौल ने ईश्वर के प्रेम को ख्रीस्तीय जीवन का अजेय, विश्वास और आशा से पूर्ण
लक्ष्य मानता है। उनके अनुसार पूरा जीवन भी संकटों से घिरा हो फिर भी कोई भी शक्ति उसे
येसु के प्रेम से जुदा नहीं कर सकता है।
संत पौल का मानना है कि जिस प्रेम को ईश्वर
ने हमें दिया है उससे हम जीवन की हर चुनौती का सामना शांतिपूर्वक कर सकते हैं।
संत
पापा ने कहा, "हमारा ईश्वर के साथ जो प्रेम संबंध है वह हमारे पाप और कमजोरियों से ही
टूट सकता है। अगर हमारे जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ भी आ जायें और हम उनसे दूर भटक जायें,
तो भी ईश्वर हमारा साथ कदापि नहीं छोड़ता है, मृत्यु के बाद तक भी। वह हमारा साथ तबतक
नहीं छोड़ता है जब तक हम प्रेम की ऊँचाई प्राप्त कर पिता ईश्वर से एक नहीं हो जाते हैँ।"
प्रज्ञा ग्रंथ हमें बतलाते हैं कि मृत्यु
के बाद हम ईश्वर के हाथों में होते हैं। ईश्वर का हाथ स्वागत और सुरक्षा का प्रतीक है।
यह श्रद्धा और सम्मान का रिश्ता है। जो धर्माध्यक्ष जिन्होंने उत्साहपूर्वक ईश्वर और
मानव की सेवा की है वे अब ईश्वर की हाथों में हैं और मृत्यु उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती
है।
संत पापा ने कहा कि जो ईशवचन को स्वीकारते
और पवित्र आत्मा के प्रति आज्ञाकारी होते हैं उनका पुनरुत्थान होगा और वे अनन्त जीवन
प्राप्त करेंगे।