कोई भी पेशा ईश्वर की संतान होने
के हक को नहीं मिटा सकता
वाटिकन सिटी, सोमवार 4 नवम्बर 2013
(वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 3 नवम्बर को, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण
में, भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने
विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति
प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, संत लूकस रचित रविवारीय सुसमाचार पाठ हमें
दिखाता है कि येसु येरिख़ो शहर से होते हुए य़ेरुसालेम की यात्रा पर हैं। यह उनकी अंतिम
यात्रा है जो इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ को खोजने एवं बचाने के लिए समर्पित उनके
सम्पूर्ण जीवन के अभिप्राय को दर्शाता है। किन्तु जैसे-जैसे वे लक्ष्य की ओर बढ़ रहे
हैं वैसे-वैसे विरोध उनके चारों ओर बढ़ रहा है। यद्यपि
येसु के लिए माहौल बिगड़ता जा रहा है तथापि संत लूकस येरीख़ो में ज़केयुस के साथ उनके
वार्तालाप की एक सुन्दर घटना का वर्णन करते है।" "ज़केयुस
एक खोया हुआ भेड़ एवं सभी लोगों से तिरस्कृत व्यक्ति था। चुंगी के कारण वह समाज से बहिष्कृत
किया गया था, जी हाँ, वह शहर का प्रमुख तहसीलदार था। वह घृणित रोमी ठेकेदारों का मित्र
था। वह एक चोर एवं दलाल था। अपनी बदनामी एवं छोटे कद के कारण येसु तक पहुंचने में असमर्थ
था। गुरु को देखने की इच्छा से वह पेड़ पर चढ़ गया। उसकी यह बाह्य चेष्टा, भले ही बड़ा
हास्यास्पद था किन्तु यह भीड़ को चीर कर येसु से मिलने की उनकी आंतरिक अभिलाषा को प्रदर्शित
करती है। ज़केयुस खुद अपने इस कर्म की गहराई से वाकिफ़ नहीं था। वह नहीं जानता था कि
किस प्रकार येसु से मुलाक़ात की जाए बल्कि वह तो मुलाक़ात की आशा की कल्पना तक भी नहीं
कर सकता था। उसे मालूम नहीं था कि प्रभु के बीच की दूरी को किस प्रकार तोड़ा जा सकता
था। वह येसु के दर्शन मात्र से संतोष प्राप्त करना चाहता था किन्तु जब येसु उस पेड़ के
करीब पहुँचे तब उन्होंने नाम लेकर उन्हें पुकारा, "ज़केयुस, जल्दी नीचे उतर आओ, क्योंकि
आज मुझे तुम्हारे यहाँ ठहरना है।" (लूक.19:5) छोटे कद का आदमी, तिरस्कृत और येसु से
दूर, वह किसी गुमनामी के समान था किन्तु येसु ने उसका नाम लिया, ‘ज़केयुस’ जो समकालीन
भाषा में अत्यंत अर्थपूर्ण है, ज़केयुस अर्थात् ‘ईश्वर याद करते हैं’। इसके बाद येसु
येरीख़ो के लोगों की उलाहना सुनते हुए भी ज़केयुस के घर गये। लोग यह कह कर भुनभुना रहे
थे, "वे एक पापी के यहाँ ठहरने गये?" शहर में कई अच्छे परिवारों के होते, वे चुंगी वाले
के पास गये? संत पापा ने कहा, जी हाँ, वे गये क्योंकि ज़केयुस खो गया था। येसु ने कहा,
"आज इस घर में मुक्ति का आगमन हुआ है क्योंकि वह भी इब्राहीम का बेटा है।"(लूक.19:9)
उस दिन ज़केयुस के घर में आनन्द, शांति, मुक्ति एवं येसु का प्रवेश हुआ। संत पापा ने कहा कि ऐसा कोई भी पेशा या
सामाजिक प्रतिष्ठा नहीं है और न कोई पाप या किसी प्रकार का दोष ही, जो हमें ईश्वर के
हृदय एवं स्मृति से उनके पुत्र-पुत्री होने के हक को पूरी तरह मिटा सके। "ईश्वर याद करते
हैं" उन्होंने जिनकी सृष्टि की है वे उन्हें कभी नहीं भूलते। वे एक ऐसे पिता हैं जो सदा
प्यार करते एवं उत्सुकता से बेटे के हृदय में घर वापसी की सजीव अभिलाषा का इन्तज़ार करते
हैं। जब बेटा इस अभिलाषा को पहचानता है यद्यपि कई बार अनजाने ही, तथापि तत्काल इसका प्रभाव
दिखाई पड़ता है। ईश्वर की क्षमाशीलता के कारण मन परिवर्तन एवं वापसी का रास्ता आसान मालूम
पड़ने लगता है। संत पापा
ने कहा कि आज हम ज़केयुस पर चिंतन करें, उनका पेड़ पर चढ़ना एक हास्यप्रद मुद्रा है किन्तु
उस मुद्र में मुक्ति है। मैं आप से कहता हूँ यदि आपका अंतःकरण भारी है, कई प्रकार के
कुकर्मों के कारण लज्जा है आप एक क्षण के लिए रुक जाएँ, घबरायें नहीं। यह विचार न करें
कि दूसरे आपके रुकने के कारण जानने की कोशिश कर रहे हैं। यदि कोई आपका इन्तज़ार कर रहा
है तो सिर्फ पिता। पिता ईश्वर आपका इन्तज़ार कर रहे हैं। ज़केयुस के समान चढ़िये क्षमा
प्राप्त करने की चाह की उँचाई तक। मैं आश्वासन देता हूँ कि आप कभी निराश नहीं होंगे।
ईश्वर दयालु हैं तथा क्षमा करने से कभी नहीं थकते। संत
पापा ने कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम अपने हृदय की गहराई में येसु को अपना नाम पुकारने
दें। उनकी आवाज को सुनें जो कह रहा है: ‘आज मुझे तुम्हारे यहाँ ठहरना है’। हमारे जीवन
में यह हमारा हृदय है हम उनका स्वागत करें वे हमें परिवर्तित कर सकते हैं हमारे पत्थर
के हृदय को मांस-पेशियों के हृदय में बदल सकते हैं, हमारे स्वार्थ से मुक्त कर हमें प्रेम
का वरदान बना सकते हैं। सचमुच येसु ये सब कुछ कर सकते हैं। आइए, हम उनकी ओर निहारें।"
इतना कहने के बाद संत
पापा ने समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया। देवदूत प्रार्थना
के पश्चात् संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा रविवार
की मंगलकामना अर्पित की।