समस्या के निदान के अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों की सराहना
न्यूयॉर्क, शुक्रवार 1 नवम्बर, 2013(सीएनए) संयुक्त राष्ट्र संघ में रोम परमधर्मपीठ के
प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष फ्राँसिस चुल्लीकट ने भुखमरी, कुपोषण और गरीबी की समस्या के
निदान के अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों की सराहना की है।
उन्होंने अन्तराष्ट्रीय समुदाय
से अपील की है कि वह मानव को भोजन के अधिकार हासिल कराने के लिये कार्य करे।
29
अक्तूबर को संयुक्त राष्ट्र संघ की 68वीं महासभा में ‘कृषि, विकास, खाद्य सुरक्षा और
पौष्टिक आहार’ विषय पर अपने विचार रखते हुए वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष
चुल्लीकट ने कहा, "वैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन में सुधार हमारा महत्वपूर्ण लक्ष्य
है फिर भी खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य को तब ही सुनिश्चित किया जा सकता है जब हम सामाजिक
संरचना में मूल परिवर्त्तन करेंगे और गरीबों तथा भूखों के साथ सहानुभूति रखेंगे।"
महाधर्माध्यक्ष
ने कहा, "भुखमरी एक तकनीकि समस्या मात्र नहीं है और जिसके लिये तकनीकि समाधान मात्र ही
काफी है। भुखमरी की समस्या मानव समस्या है जिसका समाधान मानव समुदाय में खोजा जाना चाहिये।"
वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक ने कहा कि भुखमरी का कारण अन्न का अभाव नहीं है
क्योंकि प्रत्येक वर्ष 1.3 बिलियन टन खाद्य पदार्थ बरबाद कर दिया जाता है।
उन्होंने
संत पापा फ्राँसिस की बातों की याद दिलाते हुए कहा कि दुनिया के लाखों लोगों की भुखमरी
और पीड़ा ‘अत्यंत निन्दनीय’ है।
उन्होंने कहा, "आज ज़रूरत है एक रास्ता खोज निकाले
जाने की ताकि धरती के फल का लाभ सबों को मिल सके और ऐसा न हो कि धनी और गरीबों के बीच
की खाई बड़ी हो जाये और गरीब टेबल से गिरे चुर्ण से अपना पेट भरें। वास्तव में तो धरती
के अन्न से दुनिया के मानव के प्रति न्याय, आदर और समानता का लक्ष्य प्राप्त किया जाना
चाहिये। मालूम हो की विगत 20 जून को संत पापा ने उन्होंने रोम स्थित ‘फूड एंड अग्रीकल्चर
ऑर्गानाइजेशन’ (फाव) को संबोधित करते हुए इन्हीं बातों पर बल दिया था।
महाधर्माध्यक्ष
ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को चेतावनी दी कि "खाद्य सुरक्षा शांति और प्रगतिपूर्ण समुदाय
बनाने के बदले लोगों को नियंत्रित करने या उनपर शासन का साधन न बने।"