धार्मिक स्वतंत्रता हनन पर हस्तक्षेप के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से अपील
फुलबनी, बृहस्पतिवार, 31 अक्तूबर 2013 (एशियान्यूज़): ग्लॉबल कौंसिल ऑफ इंडियन क्रिशचियनस
(जीसीआइसी) ने उड़ीसा के 14 घरों एवं बपटिस्ट गिरजाघर को जलाने के मामले में फुलबनी अदालत
द्वारा 54 लोगों को बरी किये जाने के विरोध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से अपील की
है कि वह बाराखामा में ख्रीस्तीयों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने वालों पर हस्तक्षेप
करे। एशिया न्यूज़ की जानकारी के अनुसार, जी सी आइ सी के अध्यक्ष साजन जॉज ने राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग से अपील की है कि ग्लॉबल कौंसिल ऑफ इंडियन क्रिशचियनस इसकी जाँच करे
एवं उड़ीसा के उन सरकारी अधिकारियों का पता लगाये जो कंधमाल केस को कमजोर बनाने में संलग्न
हैं। विदित हो कि उड़ीसा के फुलबनी अदालत जिसने 7 निर्दोष ख्रीस्तीयों को बिना साबुत
के आजीवन करावास की सज़ा सुनाई, अब 14 घरों एवं बपटिस्ट गिरजाघर को भस्म करने के मामले
में 54 लोगों को बरी की। उन्हें सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील, कंधमाल ज़िले में 2007
के दौरान हुए दंगों में संलिप्तता के लिये इन 54 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था।
ग्लॉबल कौंसिल ऑफ इंडियन क्रिशचियनस अदालत की इस क्रिया से हैरान है एवं अनुमान लगा
रही है कि अभियोजनों द्वारा कंधमाल में आगजनी एवं लूट पाट करने वालों के केस को कमजोर
करने का कोई गुप्त एजेंडा हो सकता है। बरहमपुर में सन् 2007 ई. में हुए ख्रीस्तीय हिंसक
हमले के अपराधियों का स्पष्ट सबूत था। इस रिहाई से असहाय लोगों के मन में संदेह की
छाया साफ दिखाई पड़ रही है। इस निर्णय से अभियोजन पक्ष के ‘गुप्त एजेंडा’ का स्पष्ट
संकेत मिलता है दोषी को बरी एवं हिंसा के शिकार पर निशाना।