वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 31 अक्तूबर 2013 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 31 अक्तूबर
को वाटिकन स्थित संत सेबास्तियन प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। संत पापा
ने उपदेश में पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, "इन पाठों में मुझे दो मुख्य बातें प्रभावित
करती हैं पहला, संत पौलुस की सुरक्षा: ‘ईसा के प्रेम से कोई उन्हें वंचित नहीं कर सकता।’
उन्होंने ख्रीस्त को पाया और उसी क्षण उनका जीवन बदल गया। ख्रीस्त को पहचान लेने का पश्चात्
उन्होंने उन्हें अत्यधिक प्यार किया। वे कहते हैं कि ख्रीस्त के प्रेम से उन्हें कोई
अलग नहीं कर सकता। प्रभु उनके जीवन के केंद्र हैं। उन्होंने जीवन में अत्याचार, बीमारी
और विश्वासघात का सामना किया किन्तु ख्रीस्त के प्रेम में बने रहे। इस प्यार के बिना
कोई ख्रीस्तीय नहीं है। ख्रीस्तीय अनुभव करते हैं कि उनका जीवन ख्रीस्त के लोहू से बचा
लिया गया है। यही प्यार का रिश्ता है। संत पापा ने कहा कि दूसरी प्रमुख बात है- येसु
की उदासी। येसु उदास हैं क्योंकि य़ेरुसालेम ने ईश्वर के प्यार को नहीं समझा। संत पापा
ने कहा कि ईश्वर हमें प्यार करते हैं किन्तु जब यह हमारे लिए अस्पष्ट लगता, हमारे दिल
को नहीं छूता तब हम अपनी इच्छा अनुसार चलने लगते हैं। हमारे जीवन में कोई दिशा नहीं होती
है। य़ेरुसालेम वासियों की यही स्थिति थी जिसके कारण येसु उदास होकर कहते हैं, हे येरुसालेम,
तुम अविश्वासी ठहरी, तुमने अपने आपको प्यार करने योग्य नहीं छोड़ा। तुमने देवमूर्तियों
को स्थान दिया तथा मेरा परित्याग कर दिया। येसु का हृदय उनके प्यार को ठुकराये जाने के
कारण दुखी है। संत पापा ने कहा कि संत पौलुस के उदाहरण से प्रेरित होकर हम ईश्वर
के प्रेम में अंत तक निष्ठावान बने रहे। ईश्वर का प्रेम हमें शक्ति प्रदान करे।