वाटिकन सिटीः आशा केवल आशावाद नहीं है, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 30 अक्टूबर सन् 2013 (सेदोक वी. आर.): सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा है कि
आशा केवल आशावाद नहीं है बल्कि वह मनुष्य को अन्नत जीवन से जोड़नेवाला तथ्य है। वाटिकन
स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग अर्पण के
अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने, रोमियों को लिखे सन्त पौल के पत्र की "हमारी मुक्ति
अब तक आशा का ही विषय है", पंक्ति पर चिन्तन किया। इसमें आशा को ईशशास्त्रीय सदगुण कहा
गया है। सन्त पापा फ्राँसिस ने सदगुण तथा अच्छी भावना में विश्व को देखने व आगे बढ़ने
में भिन्नता दर्शाते हुए कहा कि आशा ऐसा ईशशास्त्रीय सदगुण है जो विश्वास और उदारता जैसे
अन्य दो ईशशास्त्रीय सदगुणों की अपेक्षा समझने में अधिक कठिन है। सन्त पापा ने कहा,
"आरम्भिक ख्रीस्तीयों ने समुद्री तट पर आशा का लंगर डाला तथा धैर्यपूर्वक भविष्य की प्रतीक्षा
करते रहे। इस सन्दर्भ में, हम अपने आप से प्रश्न करें कि हमने अपना लंगर कहाँ डाला है
क्या वह सही दिशा में दूर समुद्र में डाला गया है या फिर हमारी संकीर्ण तथा स्वतः बनाई
गई कृत्रिम झील में, जहाँ हमारे अपने नियम लागू होते हैं, आचार व्यवहार हमारे अपने जैसे
होता है।" सन्त पापा ने कहा, "आशा में जीवन यापन करना एक बात है क्योंकि आशा में ही
हमारी मुक्ति है और दूसरी बात है बस ख्रीस्तानुयायियों के सदृश जीवन यापन करना और इससे
अधिक कुछ नहीं।" उन्होंने कहा, "जब कोई स्त्री गर्भवती होती है तब वह केवल स्त्री
मात्र नहीं हाती बल्कि एक माँ भी होती है। आशा भी ऐसी ही है, वह हमारे आचार व्यवहार को
रचनात्मक रूप से बदल देती जिससे हम, हम न रहकर, भविष्य की खोज में आशा लगाये रहते हैं।"