जैव प्रौद्योगिकी को परिष्कृत करने के प्रयास को समर्थन
संयुक्त राष्ट्र, शनिवार, 26 अक्तूबर 2013 (उकान): काथलिक कलीसिया विश्व के गरीबों एवं
पीड़ितों को भोजन दिलाने हेतु जैव प्रौद्योगिकी को परिष्कृत करने के प्रयास को समर्थन
देती है यह बात कार्डिनल पीटर के. ए. टर्कसन ने 25 अक्तूबर को कही। उन्होंने पूर्ण
ढंग से विज्ञान के उपयोग तथा खाद्य पदार्थों पर सही लेबल लगाने का आह्वान किया ताकि लोग
स्वतंत्र चुनाव कर सकें। टर्कसन ने अमरीका के डेस मोइनेस शहर में विश्व खाद्य पुरस्कार
संगोष्ठी के दौरान 1000 लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "यह मानव के लिए तर्कसंगत है
कि सही मनोभाव के साथ प्रकृति पर हस्तक्षेप एवं संशोधन करे। मानव प्राणी तब तक अवैध कृत्य
नहीं करता जब तक कि वह उनकी विशेषताओं में से कुछ को संशोधित करने के लिए हस्तक्षेप करता
है।" उन्होंने धन्य संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की सलाह को याद करते हुए कहा कि प्रतिकूल
जलवायु परिवर्तन ने गरीब देशों में खाद्य उत्पादन को प्रभावित किया है अतः "विज्ञान के
शोध का उपयोग भूमि की उच्च उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए किया जाना चाहिए।" उन्होंने
सलाह दी कि सभी प्रतिनिधि जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग पर मिलकर विचार-विमार्श करें। उन्होंने
वार्ता के निर्देशन के लिए कुछ "नैतिक मापदंड" भी बताये जिनके द्वारा दावा किया जा सके
कि यह नैतिकता की दृष्टि से इसका उपयोग अच्छा है या बुरा।