संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय यहूदी संगठन के प्रतिनिधिमंडल से की मुलाकात
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 24 अक्तूबर 2013 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 24 अक्तूबर
को, मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय यहूदी संगठन सिमोन वीज़ंथल केंद्र के
प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। उन्होंने सभा को संबोधित कर कहा, "यह मुलाकात रोम के
धर्माध्यक्ष के प्रति आपके आदर एवं सम्मान का चिन्ह है जिसके लिए मैं कृतज्ञ हूँ। आपने
जातिवाद उन्मूलन, असहिष्णुता और यहूदी विरोधी भावना तथा शिक्षा एवं समाज सेवा के बीच
आपसी समझदारी को बढ़ावा देने के कार्यों को अपनाया है जो संत पापा की इच्छा के अनुकूल
है।" संत पापा ने बल देते हुए कहा कि असहिष्णुता की समस्या को समुचित ढंग से निपटाया
जाना चाहिए क्योंकि जहाँ कहीं भी अल्पसंख्यक एवं हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों
को अपने धार्मिक विश्वास एवं जातीयता के कारण शोषित किया जाता है वहाँ पूरे समाज की भलाई
ख़तरे में पड़ जाती है तथा समाज के सभी लोग इससे प्रभावित होते हैं। उन्होंने दुःख के
साथ याद किया कि आज विश्व के विभिन्न हिस्सों में ख्रीस्तीय लोग पीड़ा, उपेक्षा और अत्याचार
सह रहे हैं। संत पापा ने अपील की कि समझौतों, वार्ता, सम्मान, समझदारी एवं आपसी क्षमा
की संस्कृति को प्रोत्साहन देने में हम सभी अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि इस
संस्कृति के निमार्ण के लिए प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण का अर्थ सिर्फ ज्ञान
का प्रसार नहीं है किन्तु जीवन्त साक्ष्य का मार्ग है जो सहभागिता के निमार्ण एवं समझौते
की माँग करता है। युवा पीढ़ी के सम्मुख सच्चाई को प्रकट करना है। उन्हें न केवल यहूदी-काथलिक
वार्ता के इतिहास की जानकारी देना है किन्तु कठिनाईयों का अनुभव तथा हाल के दशकों में
हुई प्रगति की जानकारी से भी अवगत कराने में सक्षम होने की आवश्यकता है। उन्हें सक्रिय
एवं उत्तरदायित्वपूर्ण सहभागिता के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि समाज एवं
समाज के कमजोर वर्ग की सेवा के प्रति समर्पण बहुत महत्वपूर्ण है। संत पापा ने आग्रह
किया कि सीमा दीवार को ढाने एवं विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्परागत विश्वासों को जोड़ने
के लिए पुल के निर्माण हेतु युवाओं को सार्वजनिक पहल के महत्व से परिचित करायें।