2013-10-21 12:46:52

कलीसिया की प्रेरिताई है येसु द्वारा संदीप्त विश्वास की आग को समस्त विश्व में फैलाना


वाटिकन सिटी, सोमवार 21 अक्तूबर 2013 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, रविवार 20 अक्तूबर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर धीरज के साथ निरंतर प्रार्थना करते रहने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
आज के सुसमाचार में येसु ने एक दृष्टांत के माध्यम से बिना थके निरंतर प्रार्थना करने की आवश्यकता पर बल दिया है। दृष्टांत का मुख्य पात्र एक विधवा है जो न्याय की गुहार लगाकर एक बेईमान न्यायकर्त्ता से न्याय पाने में कामयाब है। येसु कहते हैं कि यदि विधवा उस न्यायकर्त्ता को समझाने में कामयाब है तो क्या ईश्वर आपके आग्रह पर आपकी आवश्यकता पूरी नहीं करेंगे? यहाँ येसु की अभिव्यक्ति बहुत वजनदार है, वे कहते हैं "क्या ईश्वर अपने चुने हुए लोगों के लिए न्याय की व्यवस्था नहीं करेगा। जो दिन रात उसकी दुहाई देते रहते हैं।" (लूक.18:7)
संत पापा ने कहा कि "दिन-रात ईश्वर की दुहाई देना।" यह किस प्रकार की प्रार्थना है, क्यों ईश्वर इस प्रकार की प्रार्थना की मांग करते हैं? यदि ईश्वर पहले ही हमारी आवश्यकता जानते हैं? तो हमें क्यों ईश्वर से आग्रह करने की आवश्यकता है?
यह एक सटीक सवाल है जो हमें विश्वास की एक महत्वपूर्ण पहलू पर चिंतन कराती है। ईश्वर हमें आग्रहपूर्ण प्रार्थना करने का निमंत्रण देते हैं इसलिए नहीं कि वे हमारी आवश्यकता नहीं जानते हैं या हमें नहीं सुनते। इसके विपरीत, वे हमेशा हमें प्यार से सुनते एवं हमारी सारी आवश्यकताओं को जानते हैं। हमारे दैनिक जीवन में, विशेषकर, अपने आंतरिक एवं बाह्य कठिनाईयों से लड़ने में ईश्वर हम से दूर नहीं रहते, किन्तु हम खुद उनसे दूर हो जाते हैं। ऐसे समय में प्रार्थना ही वह हथियार है जो हमें अपने बगल में उनकी उपस्थिति, उनकी करुणा एवं उनकी सहायता का एहसास देती है। बुराई के साथ संघर्ष कठिन और लम्बा है। इसके लिए धीरज और सहनशीलता की आवश्यकता है जैसा कि मूसा को युद्ध में प्रबल बनें रहने के लिए अपने हाथों को उपर उठाये रखना था। (निग.17:8-13) हमारे प्रतिदिन के जीवन में भी इसी प्रकार का संघर्ष है, किन्तु ईश्वर हमारे मित्र हैं। ईश्वर पर विश्वास में हमारा बल है तथा प्रार्थना विश्वास की अभिव्यक्ति है। इस कारण, ईश्वर हमें विजय का आश्वासन देते हुए पूछते हैं; "पर क्या मानव पुत्र के आगमन तक विश्वास बचा रहेगा?"(लूक.18:8) यदि हम विश्वास से मुख मोड़ लेते है तो हमारी प्रार्थना व्यर्थ हो जाती है तथा हम अंधकार में विचरते और अंत में जीवन के रास्ते से भटक जाते हैं।
संत पापा ने कहा, "सुसमाचार की उस विधवा से हम निरंतर एवं बिना थके प्रार्थना करना सीखें। वह विधवा होशियार थी जो अपने बच्चों के लिए संघर्ष करना जानती थी। मैं उन महिलाओं को गौर करता हूँ जो अपने परिवार के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो प्रार्थना करती हैं एवं कभी नहीं थकतीं। आज हम उन महिलाओं की याद करें जो अपने मनोभाव द्वारा विश्वास, साहस एवं प्रार्थना का आदर्श प्रस्तुत कर सच्चा साक्ष्य देती हैं। हम निरंतर उनके लिए प्रार्थना करें, अपने शब्दों द्वारा ईश्वर को आश्वस्त करने का प्रयास न करें क्योंकि ईश्वर हमारी आवश्यकताओं को हम से बेहत्तर जानते हैं। प्रार्थना में धीर बने रहना, ईश्वर पर हमारे विश्वास की अभिव्यक्ति है जो हमें अपने साथ प्रतिदिन, प्रत्येक क्षण संघर्ष करने का निमंत्रण देते हैं जिससे कि हम अच्छाई द्वारा बुराई पर विजय प्राप्त करें।
इतना कहने के पश्चात संत पापा ने विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने कहा,
"प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आज विश्व मिशन रविवार अर्थात् प्रेरिताई को समर्पित रविवार है। कलीसिया की प्रेरिताई क्या है? कलीसिया की प्रेरिताई है येसु द्वारा सुलगाये गये विश्वास की आग को समस्त विश्व में फैलाना। ईश्वर पर विश्वास कि वे हमारे पिता हैं, हमें प्यार करते हैं तथा अत्यन्त दयालु हैं। ख्रीस्तीय मिशन का सिद्धांत धर्मांतरण नहीं है। यह उस आग को बांटना है जो हमारी आत्मा को उष्मता प्रदान करती है।
संत पापा ने प्रेरितिक कार्यों से जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूँ जो अपनी प्रार्थनाओं एवं व्यवहारिक सहायताओं द्वारा मिशन कार्य में मदद पहुँचाते हैं, विशेषकर, रोम धर्मासन द्वारा सुसमाचार के प्रचार में। आज के इस दिन हम सभी मिशनरियों की याद करते हैं जो चुपचाप अपना कार्य निभाते हैं तथा इसके लिए अपना जीवन अर्पित करते हैं। उदाहरण के लिए, ईतालवी अफ्रा मरतिनेल्ली, जिन्होंने कई वर्षों तक नाइज़ेरिया में कार्य किया है, वे कुछ ही दिनों पहले डकैतों द्वारा हत्या के शिकार हुए, ख्रीस्तीय एवं मुस्लमान सभी ने शोक मनाया क्योंकि वे उन्हें प्यार करते थे। उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर सुसमाचार का प्रचार किया है, शिक्षण कार्य द्वारा विश्वास की ज्योति फैलायी है एवं एक अच्छी लड़ाई लड़ी है। हम उस धर्मबहन की याद करें एवं ताली बजाकर उनका अभिवादन करें।
स्तेफन सानदोर की भी याद करते हैं जो बुडापेस्ट में शनिवार को धन्य घोषित किये गये। वे सलेशियन धर्मसमाज के लोकधर्मी सदस्य थे। उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा और वक्तृत्व द्वारा युवाओं की अनुकरणीय सेवा की हैं। जब कम्युनिस्ट शासन ने सभी काथलिक कार्यों को बंद किया तब उन्होंने साहस पूवर्क अत्याचार का सामना किया तथा 39 साल की उम्र में मार ड़ाले गये। हम सलेशियन धर्मसंघ एवं हंगेरी कलीसिया के साथ मिलकर ईश्वर को धन्यवाद दें।
मैं फिलीपिन्स में भयंकर भूकम्प से प्रभावित लोगों को अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करता हूँ तथा आप सभी से आग्रह करता हूँ कि उस प्यारे देश के लिए प्रार्थना करें जो कई आपदाओं का सामना कर रहा है।
तत्पश्चात संत पापा ने उपस्थित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा उन्हें रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।








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