2013-10-15 12:07:37

वाटिकन सिटीः ईश्वर का करुणामय प्रेम मुक्ति दिलाने में सक्षम, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, 15 अक्टूबर सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा है कि "ईश्वर का करुणामय प्रेम ही मानव को मुक्ति दिलाने में सक्षम है।"
वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में सोमवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर सुसमाचार में निहित योना के दृष्टान्त पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि काम करते रहना ज़रूरी है किन्तु मुक्ति के लिये पर्याप्त नहीं क्योंकि मुक्ति तो केवल ईश्वर की दया एवं उनके करुणामय प्रेम का फल है।
उक्त सुसमाचार पाठ में प्रभु येसु ख्रीस्त उनपर प्रश्न उठानेवाले शास्त्रियों को फटकार बताते हैं। इस सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने कार्यों पर गर्व करते तथा अपने कार्यों को ही सबकुछ मान लेते हैं।" उन्होंने कहा कि अपने कामों को महत्व देनेवाले लोग पाखण्डी हैं क्योंकि वे ईश्वर की दया को स्थान नहीं दे पाते जबकि ईश्वर का करुणामय प्रेम ही मनुष्य को मुक्ति दिलाने में सक्षम है।
सन्त पापा ने इस बात पर बल दिया कि प्रभु येसु ख्रीस्त शास्त्रियों को एवं विधि के पंडितों को उनके पाखण्ड के लिये फटकार रहे थे। उन्होंने सुसमाचार के उस दृष्टान्त की ओर ध्यान आकर्षित कराया जिसमें फरीसी और नाकेदार मन्दिर में प्रार्थना करते हैं। फरीसी को अपने आप पर भरोसा था इसलिये वेदी के समक्ष खड़े होकर वह प्रभु को धन्यवाद देता है कि वह नाकेदार जैसा नहीं है। दूसरी ओर नाकेदार था जो अपने पापों को स्वीकारते हुए प्रभु से दया की याचना कर रहा था।
सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु ने अपनी मृत्यु एवं पुनरुत्थान द्वारा दया की याचना करनेवाले को मुक्ति का आश्वासन दिया है क्योंकि प्रभु हमसे चढ़ावे की नहीं अपितु दया की अपेक्षा करते हैं। सन्त पापा ने कहा कि इसीलिये कार्यों के साथ साथ अपने भाई-बहन और पड़ोसी के प्रति दया दिखाना भी अनिवार्य है।








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