मलेशिया सोमवार, 14 अक्तूबर, 2013 (बीबीसी) एक मलेशियाई कोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले
को पलटते हुए आदेश दिया है कि ग़ैर मुसलमान भगवान के संदर्भ में ‘अल्लाह’ शब्द का इस्तेमाल
नहीं कर सकते। मलेशिया की निचली अदालत ने साल 2009 में इस बारे में फ़ैसला सुनाया
था.पुनर्विचार करने वाली अदालत ने कहा कि ग़ैर मुसलमानों को इस शब्द का इस्तेमाल करने
देने से 'समाज में भ्रम' पैदा होगा. ईसाइयों का तर्क है कि वो इस शब्द का इस्तेमाल
मलय में दशकों से कर रहे हैं और इस आदेश से उनके अधिकारों का हनन हुआ है। साल 2009
में इस बारे में फ़ैसला आने के बाद फैल गया था और इसके बाद चर्चों और मस्जिदों को निशाना
बनाया गया था। ये तब हुआ जब सरकार ने एक कैथोलिक समाचार पत्र ''द हेराल्ड'' से कहा
कि वह ईसाई भगवान को मलय भाषा में 'अल्लाह' नहीं लिख सकता। तब समाचार पत्र ने इसके
खिलाफ़ मुक़दमा दायर कर दिया और साल 2009 में अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया. इसके
बाद ने इसके ख़िलाफ़ अपील की. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद अपांदी अली ने कहा, ''अल्लाह
शब्द का इस्तेमाल ईसाइयत का अभिन्न अंग नहीं है।'' उन्होंने आगे कहा, ''इस शब्द के
इस्तेमाल से समुदाय में भ्रम फैलेगा।'' द हेराल्ड के संपादक रेवरेंड लॉरेंस एंड्र्यू
का कहना है कि वह 'हताश और निराश' हैं और इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करेंगे। उन्होंने
कहा, ''ये धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता को लेकर कानून के विकास के बारे में पीछे
की ओर ले जाने वाला कदम है।'' द हेराल्ड समाचार पत्र के समर्थकों का तर्क है कि साल
1963 में के संघीय राष्ट्र बनने से पहले से मलय भाषा की बाइबल में ईसाई भगवान के लिए
अल्लाह शब्द का इस्तेमाल होता रहा है। वहीं कुछ मुसलमान समूहों का कहना है कि ईसाई
लोग अल्लाह शब्द का इस्तेमाल कर मुसलमानों को धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने के लिए प्रोत्साहित
कर सकते हैं। सरकार के वकील ज़ैनुल रिजल अबु बकर ने बीबीसी से कहा, "अल्लाह मलय शब्द
नहीं है। अगर वो कोई मलय शब्द कहना चाहते हैं तो उन्हें अल्लाह की जगह तुहान कहना चाहिए।" मलेशिया
में कुछ लोगों का मानना है कि सत्ताधारी मलय-मुस्लिम पार्टी इस मामले का इस्तेमाल मतदाताओं
के बीच अपनी पकड़ मज़बूत करने में कर रही है। मलेशिया की जनसंख्या का दो तिहाई मुसलमान
हैं लेकिन वहां हिंदू और ईसाई भी बड़ी तादाद में हैं.