वाटिकन सिटीः प्रार्थना करनेवाला क्षमा करना भी जानता है, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 09 अक्टूबर सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि जो व्यक्ति
प्रार्थना करना जानता है वह क्षमा करना भी जानता है। वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक
आवास के प्रार्थनालय में, मंगलवार को, ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा ने सुसमाचार में
निहित मर्था के वृत्तान्त पर चिन्तन किया। इस वृत्तान्त के अनुसार मर्था, प्रभु येसु
की बातें ध्यानपूर्वक सुननेवाली उनकी बहन, मरिया की शिकायत करती हैं कि उसे घर के काम-काज
में मदद करनी चाहिये। मर्था की शिकायत का उत्तर देते हुए प्रभु येसु कहते हैं कि मरिया
ने बेहतर भाग का चयन किया है। सन्त पापा ने इसी बेहतर भाग यानि प्रार्थना तथा प्रभु
के शब्दों को सुनने पर बल दिया। उन्होंने कहा, "बहन की दृष्टि में प्रभु के वचन सुनना
समय की बर्बादी थी, और ऐसा प्रतीत भी हो रहा था मानों एक नन्हीं बच्ची आश्चर्य के साथ
एकटक प्रभु पर दृष्टि लगाये बैठी थी किन्तु", सन्त पापा ने कहा, "प्रभु ख़ुद ऐसा चाहते
हैं, वे कहते हैं कि यह बेहतरीन भाग है क्योंकि मरिया प्रभु को सुन रही थी तथा मन ही
मन प्रार्थना कर रही थी।" उन्होंने कहा कि यहाँ मानों प्रभु हमसे कह रहे होः "जीवन में
पहला दायित्व है प्रार्थना। तोते के सदृश रट लगाना प्रार्थना नहीं है बल्कि मन और हृदय
से प्रार्थना, प्रभु पर दृष्टि लगाना, प्रभु को सुनना, प्रभु से निवेदन करना। हम जानते
हैं कि प्रार्थना चमत्कारों को सम्पादित करती है।" सन्त पापा ने कहा कि हृदय
रहित रटी रटाई प्रार्थना और साथ ही क्षमा के बिना न्याय की आशा करना ऐसे प्रलोभन हैं
जिनसे ख्रीस्त के अनुयायियों को बचना चाहिये। सन्त पापा ने कहा, "प्रार्थना का अर्थ
है प्रभु को अपने जीवन में प्रवेश करने देना क्योंकि प्रभु ही हमें कठिनाइयों को पार
करने तथा आगे बढ़ने का सम्बल प्रदान करते हैं। हम हृदय से प्रार्थना करें तथा प्रभु के
आने के लिये अपने मन के द्वारों को खुला रखें।"