राजस्थानः ईसाई मिशनरी स्कूल शुल्क नियमन कानून के विरुद्ध
राजस्थान, 09 अक्टूबर सन् 2013 (ऊका समाचार): राजस्थान में, ईसाई मिशनरी स्कूलों ने स्कूली
शुल्क नियमन का विरोध करते हुए इसे अल्पसंख्यक संस्थाओं के संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन
बताया है। उनका दावा है भारतीय संविधान उन्हें सरकार के "हस्तक्षेप" से पूर्ण स्वतंत्रता
प्रदान करता है। टाईस्म ऑफ इन्डिया के हवाले से ऊका समाचार ने बताया कि राजस्थान
स्कूल अधिनियम 2013 सम्बन्धी शुल्क नियमन के अनुसार, सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता
में, स्कूलों द्वारा दी जा रही सुविधाओं तथा शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर, एक शुल्क
समिति, प्रत्येक स्कूल की फीस तय करेगी। नियमन, ट्यूशन फीस सहित शुल्क संरचना का
विवरण प्रकाशित करना भी स्कूलों के लिए अनिवार्य बनाता है। काथलिक कलीसिया की, काथलिक
धर्मप्रान्तीय शिक्षा सोसाइटी ने राज्य सरकार के इस कदम के खिलाफ रणनीति बनाने हेतु विगत
सप्ताहान्त एक बैठक का आयोजन किया जिसमें शिक्षा विभाग के समक्ष एक प्रतिनिधिमण्डल भेजने
का निर्णय लिया गया है जो सरकार से ख्रीस्तीय स्कूलों को अधिनियम के दायरे से बाहर रखने
का आग्रह करेगा। सेंट जेवियर्स स्कूल की उप प्रधानाचार्य सी.के. पूनोज़ ने भारतीय
संविधान के अनुच्छेद 31 की धारा 01 को उद्धृत कर कहा कि धर्म और भाषा के आधार पर सभी
अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद की शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार है।
उन्होंने कहा, "मिशनरी स्कूलों की फीस संरचना पहले से ही कम है और मौजूदा शुल्क ढांचे
से नीचे जाना शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।"