2013-10-05 15:19:15

शहादत एक विचार नहीं, चयन है समर्पण का


रोम, शनिवार, 5 अक्तूबर 2013 (एशियान्यूज़): ‘शहादत ईराकी कलीसिया की विशिष्टता’ है, जहाँ विश्वास एक ‘वैचारिक मुद्दा’ नहीं अपितु एक ‘रहस्यमय वास्तविकता’ है जो ख्रीस्त के साथ व्यक्तिगत साक्षात्कार के अनुभव से प्राप्त होती है। यही कारण है कि अत्याचार के शिकार ख्रीस्तीय, विश्वास एवं समर्पण को नवीकृत करने में हमारी मदद कर सकते हैं, यह बात बागदाद में खलदेई ख्रीस्तीयों के प्राधिधर्माध्यक्ष मार लुई साको ने, रोम में आयोजित एक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही।
रोम में 26 सितम्बर से पहली अक्तूबर तक रोम के लोक धर्मी समुदाय संत एजिदियो द्वारा शाँति हेतु प्रार्थना सम्मेलन का आयोजित किया था। सम्मेलन का विषय था: "आशा का साहस- धर्म और संस्कृति में संवाद"। विश्व के 60 देशों से विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों तथा राजनीतिक एवं सांस्कृतिक जगत के करीब 400 प्रतिनिधियों ने प्रार्थना सम्मेलन में भाग लिया।
प्राधिधर्माध्यक्ष साको ने सम्बोधन में कहा "ईराकी ख्रीस्तीयों के लिए, कलीसिया में शहादत 2 हज़ार वर्षों पुरानी एक विशिष्ट पहचान है। अल्पसंख्यक के कारण हमें लगातार कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है किन्तु हम सचेत हैं कि एक ख्रीस्तीय होने का चयन सहज नहीं है। एक ख्रीस्तीय होने का अर्थ है ख्रीस्त के अंग बनकर उनका साक्ष्य देना तथा इसके लिए हमें जीवन तक अर्थात शहीद भी होना पड़ सकता है। शहादत एक विचार या एक इरादा नहीं है किन्तु एक चयन है समर्पण का। अतः यह दैनिक वास्तविकता है।" प्राधिधर्माध्यक्ष साको ने कहा कि ईराक के ख्रीस्तीयों का साक्ष्य विश्वासियों को जीवन का अर्थ पाने में मदद करता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि देश के हित में सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विकास के कार्यों में अधिक सक्रिय भाग लें तथा देश के नागरिक रुप में अपने अधिकारों का दावा करने से न डरें।










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