वाटिकन सिटी, बुधवार 2 अक्तूबर, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में एकत्रित
हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, प्रेरितों के धर्मसार में
हम ख्रीस्तीय इस बात की घोषणा करते हैं कि कलीसिया ‘पवित्र’ है पर क्या आपने इस बात पर
चिन्तन किया है कि जब कलीसिया में कमजोर और पापी भी शामिल है तो हम कैसे कह सकते हैं
कि यह पवित्र है?
प्रेरित संत पौल ने हमें इस बात को समझ ने मदद दिया है। वे कहते
है, "सु ने कलीसिया को प्यार किया और उसके लिये अपने आपको दे दिया ताकि यह पवित्र बने,
(एफे. 5.25-26) कलीसिया येसु मसीह के साथ अविभाज्य या संयुक्त है। कलीसिया पवित्र आत्मा
का निवास स्थान भी है।
ऐसा नहीं है कि हम या हमारी क्षमतायें कलीसिया को पवित्र
करते हैं। सच बात तो यह है कि स्वयं ईश्वर ही येसु मसीह के क्रूस पर दिये गये बलिदान
के अनन्त कृपादानों द्वारा हमें पवित्र करते हैं।
ईश्वर हम पापियों को बुलाते
हैं ताकि हम नये बने, पवित्र बनें और कलीसिया के अभिन्न अंग रूप में ही हमारी मुक्ति
हो सके। इसीलिये कलीसिया बारंबार सबको विशेषकर के पापियों को आमंत्रित करती रहती है ताकि
वे ईश्वर की दया में आस्था रखें और यूखरिस्तीय बलिदान और मेल-मिलाप संस्कार ग्रहण करे
येसु के दर्शन पा सकें।
आज आइये हम ईश्वर के आमंत्रण का प्रत्युत्तर दें। हम
येसु के आमंत्रण को स्वीकार करने से न डरें, पवित्र आत्मा के वरदानों पर भरोसा रखें और
प्रार्थना करें और उस पवित्रता के लिये तरसते रहें जो सच्चा आनन्द लाता है।
इतना
कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने अन्तरधार्मिक और अन्तरसांस्कृतिक
वार्ता केन्द्र, वियेन्ना से आये प्रतिनिधियों तथा जापान के तेन्दई डिनोमिनेशन और नकानो
धर्मा सेन्टर रिशो कोसेईकाई के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।
इसके बाद भारत,
स्कॉटलैंड. जापान, बेनिन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों,
उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और
दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।