2013-10-03 20:00:40

मानव मर्यादा का अभाव ज़िम्मेदार है आर्थिक मंदी के लिये


वाटिकन सिटी, वृहस्पतिवार 3 अक्तूबर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने धन्य जोन तेइसवें द्वारा अनुमोदित विश्वपत्र ‘पाचेम इन तेर्रीस’ अर्थात् ‘दुनिया में शांति’ के प्रकाशित होने के पचास वर्ष पूरे होने के अवसर पर वाटिकन सिटी के क्लेमिन्तीन सभागार में उपस्थित प्रतिनिधियों को बधाइयाँ और शुभकामनायें दीं।

संत पापा ने कहा कि यह संयोग ही है कि धन्य जोन तेईसवें के संत बनाये जाने की तिथि की घोषणा के बाद ही हम ‘पाचेम इन तेर्रीस’ की पचासवीं वर्षगाँठ मना रहे हैँ।

उन्होंने कहा कि संत पापा धन्य जोने तेईसवें को यह ‘पाचेम इन तेर्रीस’ को प्रकाशित करने की ज़रूरत इसलिये हुई थी क्योंकि उस समय दुनिया ‘शीत युद्ध’ और परमाणु युद्ध के कगार पर थी।

आज की परिस्थिति में भी ‘पाचेम इन तेर्रीस’ प्रासंगिक है। हालांकि धन्य जोन पौल द्वारा बोये गये शांति बीज ने अच्छे फल लाये हैं तथापि विश्व को शांति की ज़रूरत है।

संत पापा ने कहा कि विश्व पत्र पाचेम इन तेर्रीस हमें इस बात की याद दिलाती है कि मानव, समाज और अधिकार की शुरुआत ईश्वरीय है जो व्यक्ति, परिवार, समाज और राज्यों को समेट कर चलता है ताकि वे न्याय और एकतापूर्ण जीवन जीयें। इसलिये प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है कि वह येसु मसीह का अनुसरण करते हुए शांति के लिये कार्य करे।

संत पापा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को चाहिये वह प्रेम और सत्य के द्वारा न्याय का प्रचार कर और अपनी क्षमता के अनुसार मानव के पूर्ण विकास के लिये अपना योगदान दे।

संत पापा ने कहा कि दुनिया में शांति और तब तक नहीं आ सकती जब तक मानव व्यक्तिवाद, अहंकार और दलगत भावना से ऊपर न उठे।

संत पापा ने कहा कि ‘पाचेम इन तेर्रीस’ व्यक्ति की मर्यादा पर विशेष बल देती है और चाहती है कि सब उसका सम्मान और आदर हो। इसके लिये सिर्फ़ राजनीतिक अधिकार काफ़ी नहीं है पर ज़रूरत है रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा और रोज़गार के अवसरों की ताकि व्यक्ति अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके।

संत पापा ने कहा कि आर्थिक मंदी की समस्या इस बात की ओर गंभीरता से इंगित करती है कि सरकारें जैसा निर्णय करतीं है उसमें मानव सम्मान का अभाव है। आज ज़रूरत है विकास की रूपरेखा को हर स्तर पर नये तरीके से देखने और विकसित करने का, ताकि ये दुनिया शांति की दुनिया बन सके।

माता मरिया की मध्यस्थता से कूर्सित येसु कृपा दें कि हम पूर्ण समर्पण सर्जनात्मक शक्ति से सार्वजनिक हित के लिये कार्य कर सकें।











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