मुम्बईः ओडिशा के सात निर्दोष ख्रीस्तीयों पर हत्या का झूठा आरोप
मुम्बई, 02 अक्टूबर सन् 2013 (एशियान्यूज़): उड़ीसा की एक अदालत ने, मंगलवार को, सन्
2008 में मारे गये हिंदू नेता लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या के लिए सात निर्दोष ईसाइयों
को दोषी ठहराया है। न्यायाधीशों द्वारा सज़ा का उच्चारण 03 अक्टूबर को किया जाना निर्धारित
है। इन सात ख्रीस्तीयों के विरुद्ध कोई सबूत न होने के बावजूद विगत पाँच वर्षों से
ये कारावास में बन्द हैं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि माओवादियों ने नेता सरस्वती की
हत्या की ज़िम्मेदारी ली है किन्तु उसके बावजूद इन सात ख्रीस्तीयों को गिरफ्तार कर जेल
में डाल दिया गया था। ग्लोबल काऊन्सल ऑफ इन्डियन क्रिस्टियन्स के अध्यक्ष साजन के.
जॉर्ज के अनुसार अदालत का फैसला "न्याय का उपहास" है। एशियान्यूज़ से उन्होंने कहा,
"यह अति शर्मनाक बात है परिवारों के निर्दोष पिताओं को विगत पांच वर्षों से कारावास में
रखा जा रहा है तथा उस अपराध के लिये उनपर मुकद्दमा चलाया जा रहा है जो उन्होंने नहीं
किया।" हिन्दू नेता सरस्वती की हत्या के उपरान्त उड़ीसा में कई माहों तक चले ईसाई
विरोधी नरसंहार में में कम से कम 100 व्यक्तियों की हत्या हो गई थी तथा लगभग 300 गिरजाघरों,
ख्रीस्तीय संस्थाओं एवं ईसाइयों के आवासों को आग के हवाले कर दिया गया था। ख्रीस्तीय
विरोधी हिंसा के दौरान हिन्दु चरमपंथियों ने ख्रीस्तीय पुरोहितों एवं धर्मबहनों को भी
प्रताड़ित किया था। इस हिंसा के चलते उड़ीसा के, कम से कम 50,000 ख्रीस्तीय लोग विस्थापित
हो गये हैं तथा हज़ारों अभी भी शरणार्थी शिविरों में जीवन यापन को बाध्य हैं।