2013-09-27 12:39:22

उत्कृष्ट शिक्षा के लिये चाहिये राजनीतिक संकल्प और वित्तीय समर्पण


न्यूयॉर्क, शुक्रवार 27 सितंबर, 2013 (वीआर, अंग्रेजी) न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों की सभा में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून इस बात पर बल दिया गया है कि बच्चों की उत्कृष्ट शिक्षा के ले मजबूत नेतृत्व और वित्तीय सहायता की ज़रूरत है।
विदित हो सितंबर माह के आरंभ में सं महासचिव बानकी मून ने ‘ग्लोबल एडूकेशन फर्स्ट इनीशिएटिव’ (विश्व शिक्षा प्रथम पहल) नामक योजना की पहली बरसी पर उक्त बाते कही। उन्होंने बतलाया कि इस योजना का उद्देश्य है प्रत्येक विद्यार्थी स्कूल में सीखने की उत्कृष्टता प्राप्त करने और वैश्व नागरिकता को बढ़ाये।
महासचिव बान की मून ने कहा कि इस प्रयास के अच्छे परिणाम आने लगे हैं। शिक्षा को वैश्विक योजना में उचित स्थान प्राप्त होने लगा। उन्होंने यह संदेश उस समय दिया जब ग्लोबल एडूकेशन फर्स्ट इनिशिएटिव योजना के आरंभ होने की पहला वर्षगाँठ मनायी गयी।
बान की मून ने कहा कि ऐसे राष्ट्र जो युद्धों से जूझ रहे हैं वहाँ के बच्चों को भी शिक्षा दिये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि निर्धन और हाशिये पर किये गये बच्चों की शिक्षा के लिये ज़रूरत है मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति और वित्तीय समर्पण की ।
महासचिव ने बतलाया कि पूरे दशक में पहली बार शिक्षा के लिये वित्तीय मदद में गिरावट आयी है इसे बदलने की ज़रूरत है और नये सहयोगियों को खोजने की ज़रूरत है जो शिक्षा के विस्तार के लिये अपना योगदान दें।
उधर यूनेस्को (यूएन एडूकेशनल, साइन्टीफिक एंड कल्चरल ऑर्गानाइजेशन) की महानिदेशिका इरिना बोकोवा ने कहा कि शिक्षा के लिये की गयी पहल ने विश्व स्तर पर कई लोगों का ध्यान खींचा है और वे शिक्षा को अपने सामाजिक, राजनीतिक और विकास के कार्यक्रम का केन्द्रबिन्दु बना लिये हैं। अब ज़रूरत है इसे आगे ले चलने की ताकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
उन्होंने बतलाया कि विश्व के 57 मिलियन बच्चे स्कूल नहीं जाते, 250 मिलियन बच्चे निरक्षर हैं। और ऐसे समय में कई सरकारों ने अपने बजट में से शिक्षा के लिये खर्च की जाने वाली राशि को कम कर दिया है जो निराशाजनक है।
उन्होंने कहा कि यदि हम शिक्षा की राशि कम करते हैं तो हम देश के लिये किया जाने वाली सबसे बड़ा निवेश को कम करते हैं।
उन्होंने सरकारों से आह्वान किया कि शिक्षा के विस्तार के लिये अन्य सरकारों एवं विकास के लिये बने संगठनों के साथ सहयोग करें और बच्चों को सिर्फ स्कूल भेजने में नहीं बल्कि उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने में योगदान दें।











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