2013-09-20 12:42:59

प्रेरक मोतीः सन्त मत्ती (पहली शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 21 सितम्बर सन् 2013:

सन्त मत्ती प्रभु येसु के 12 शिष्यों में से एक तथा प्रथम सुसमाचार के लेखक हैं। सुसमाचारों के अनुसार, मत्ती, आलफेयुस के पुत्र थे जिन्हें येसु ने उस समय अपना शिष्य होने के लिये आमंत्रित किया था जब वे कफरनाहूम में शुल्क एकत्र करने की तख्त पर बैठे थे। मनपरिवर्तन से पूर्व, मत्ती कर या शुल्क एकत्र करने के पेशे से जुड़े थे। मारकुस एवं लूकस के सुसमाचारों में मत्ती, लेवी नाम से पहचाने जाते हैं।

येसु के शिष्य मत्ती की प्रेरितिक गतिविधि पहले-पहले फिलीस्तीन तक सीमित थी किन्तु, परम्परानुकूल, यह भी कहा जाता है कि बाद में उन्होंने इथियोपिया, पारथिया एवं फारस में भी सुसमाचर का प्रचार किया। सन्त मत्ती की मृत्यु पर कुछ निश्चित्त रूप से नहीं कहा गया है इसलिये यह बताना असम्भव है कि मत्ती का अन्त प्राकृतिक मृत्यु से हुआ था अथवा शहादत द्वारा।

सन्त मत्ती का सुसमाचार विश्वासियों और ग़ैरविश्वासियों, दोनों, को ध्यान में रखकर लिखा गया था तथापि, इसका मुख्य उद्देश्य यहूदियों के समक्ष यह प्रमाणित करना है कि यहूदी ग्रन्थ में मसीह विषयक जो बातें लिखी गई हैं, वह सब प्रभु येसु ख्रीस्त में पूरी हुई हैं। अपने देशवासी फिलीस्तीनीयों के लिये लिखते हुए सन्त मत्ती ने सुसमाचार की रचना आरामाईक भाषा में की थी। अपने सुसमाचार में सन्त मत्ती ने प्रभु येसु ख्रीस्त की शिक्षा पर अधिक बल दिया है तथा उसे पाँच अपेक्षाकृत भाषणों में संकलित कर प्रस्तुत किया – दे. अध्याय 5-6; 10; 13; 18 और 24-25।

ऐतिहासिक प्रकाशना के अनुसार, सन् 42 ई. में, हेरोद अग्रिप्पा प्रथम के उत्पीड़न काल में, मत्ती ने फिलीस्तीन का परित्याग कर अन्य देशों का रुख किया था। एक परम्परा के अनुसार, मत्ती के सुसमाचार का रचनाकाल उनके फिलीस्तीन छोड़ने तथा जैरूसालेम की महासभा के बीच का अर्थात् सन् 42 ई. तथा 50 ई. तक का है। सन्त मत्ती रचित सुसमाचार में वर्णित पवित्र नगर, उसकी वेदी तथा मन्दिर के खण्डहर आज भी अस्तित्व में हैं। अस्तु, निश्चित्त रूप से यह कहा जा सकता है कि सन्त मत्ती का सुसमाचार, रोमियों द्वारा सन् 70 ई. में पवित्र नगर के विनाश से पहले रचा गया था।

चिन्तनः धन्य हैं, वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं! वे तृप्त किये जायेंगे।
धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं! स्वर्गराज्य उन्हीं का है।








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