ऑस्ट्रिया की सन्त नोटबुर्गा, राटेनबेर्ग की
नोटबुर्गा अथवा एबेन की नोटबुर्गा नामों से भी जानी जाती हैं। तिरोल प्रान्त के राटेनबेर्ग
में नोटबुर्गा का जन्म, सन् 1265 ई. में हुआ था। नोटबुर्गा घरेलु नौकरों एवं किसानों
की संरक्षिका सन्त हैं।
राटेनबुर्ग के काऊन्ट हेनरी के निवास में नोटबुर्गा
घरेलु नौकरानी थीं। भोजन तैयार करना भी नोटबुर्गा के ही ज़िम्मे था। बचे हुए भोजन को
वे प्रायः ग़रीबों में बाँट दिया करती थी। जब, मेमसाहब यानि काऊन्ट हेनरी की पत्नी ओत्तिल्ला
को इस बात का पता चला तो वह आग बबुला हो उठी तथा उसने नोटबुर्गा को डाँट लगाई। इस घटना
के बाद नोटबुर्गा अपने हिस्से के भोजन से निर्धनों को खिलाने लगी। विशेष रूप से, शुक्रवारों
के दिन वे भूखी रहकर निर्धनों में अपना भोजन बाँट दिया करती थी। मेमसाब ओतिल्ला को जब
इस बात का पता चला तो उन्होंने उसे नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद नोटबुर्गा ने आखेनसे
स्थित एबेन में एक किसान के घर छोटी सी नौकरी पकड़ ली। नौकरी पर लगने से पूर्व ही नोटबुर्गा
ने शर्त रख दी थी कि उसे रविवारों एवं पर्वों के दिन गिरजाघर जाने की अनुमति मिलती रहे।
एक दिन उसके मालिक ने अधिक काम का बहाना बनाकर उसे गिरजाघर जाने से रोक दिया। नोटबुर्गा
ने अपनी शर्त की याद दिलाई किन्तु मालिक टस से मस न हुआ तब नोटबुर्गा ने अपना हँसिया
ऊपर की ओर फेंक दिया। हँसिया फेंकते समय नोटबुर्गा के शब्द थेः "मेरा हँसिया, मेरे और
तुम्हारे बीच न्याय करेगा" और चमत्कारी ढंग से हँसिया हवा में अटक गया।
इस बीच,
काऊन्ट हेनरी अपनी पत्नी ओत्तिल्ला की मृत्यु के बाद तकलीफ़ में पड़ गये तथा उन्हें नोटबुर्गा
की याद आई। उन्होंने उसे बुला भेजा और अपने निवास का कामकाज सम्भालने का आग्रह किया।
नोटबुर्गा एक बार फिर काऊन्ट हेनरी के यहाँ नौकरी करने लगी। नौकरी के साथ- साथ प्रतिदिन
वे ख्रीस्तयाग में शामिल हुआ करती तथा जब जब समय मिलता प्रार्थना में खोई रहती थीं। अपनी
मृत्यु से कुछ समय पूर्व नोटबुर्गा ने काऊन्ट हेनरी से निवेदन किया था कि वे मरने के
बाद उसके पार्थिव शव को बैलगाड़ी पर ढोकर वहाँ तक ले जायें जब तक कि बैल अपने आप न रुक
जायें, इसी स्थल पर वे उसे दफना दें। 16 सितम्बर सन् 1313 ई. को नोटबुर्गा का निधन हो
गया तथा काऊन्ट हेनरी ने ऐसा ही किया जैसा नोटबुर्गा ने उनसे निवेदन किया था। बैलों ने
गाड़ी को एबेन स्थित सन्त रूपर्ट को समर्पित प्रार्थनालय तक खींचा और रुक गये। यहीं पर
नोटबुर्गा को दफना दिया गया। ऑस्ट्रिया की सन्त नोटबुर्गा का पर्व 14 सितम्बर को मनाया
जाता है।
चिन्तनः कठिनाईयों के बावजूद ईश्वर में अपने विश्वास को हम कदापि न
खोयें बल्कि उदार कार्यों एवं सतत् प्रार्थना द्वारा सम्बल प्राप्त करें।