2013-09-14 16:05:43

पाखण्डी है अपने पड़ोसी की बुराई करने वाला


वाटिकन सिटी, शनिवार, 14 सितम्बर 2013 (एशियान्यूज़): "जो अपने पड़ोसी की बुराई करता है वह पाखण्डी है क्योंकि उसमें अपनी कमजोरियों को देखने का साहस नहीं है।" यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 13 सितम्बर को वाटिकन स्थित प्रार्थनालय संत मार्था में पवित्र युखरिस्त के दौरान उपदेश में कही।
येसु का कथन "जब तुम्हें अपने ही आँख की धरन का पता नहीं, तो तुम अपने ही भाई की आँख का तिनका क्यों देखते हो?" पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए संत पापा ने कहा,
"एक ऐसा सवाल है जो प्रत्येक व्यक्ति के अंतःकरण को झकझोर देता है।" विनम्रता की शिक्षा देने के बाद येसु ठीक उसके विपरीत विषय पर बोलते हैं, जैसे दूसरों के प्रति घृणास्पद मनोभाव रखना तथा अपने भाई-बहनों की आलोचना करना। येसु यहाँ कड़े शब्दों का प्रयोग करते हैं "ढोंगियो", जो दूसरों का न्याय करता है, दूसरों की आलोचना करता है वह ढोंगी है क्योंकि उनमें स्वयं की ग़लती देख पाने का बल और साहस नहीं है। येसु इसपर अधिक नहीं बोलते किन्तु बाद में कहते हैं कि जिनके हृदय में घृणा है वे हत्यारे हैं। प्रेरित संत योहन ने भी अपने प्रथम पत्र में स्पष्ट रुप से लिखा है’ जो अपने भाई से घृणा करता है और जो अपने भाई का न्याय करता है वह अंधकार में विचर रहा है।’"
संत पापा ने कहा कि हम हमेशा अपने हृदय में अपने भाई बहनों का न्याय करते हैं और उससे भी बुरा जब हम उनकी ग़लतियों पर बहस करते हैं तब हम हिंसक ख्रीस्तीय बन जाते हैं। यदि हम अपने भाई की बुराई करते हैं, तब हम अपने भाई को मार डालते हैं। हम इतिहास के पहले हत्यारे काइन का अनुसरण करते हैं।
ऐसे समय में जब हम सभी ओर युद्धों की बात सुनते हैं तथा लोग शांति की तलाश कर रहे हैं, हमें मन-परिवर्तन के भाव को अपनाने की आवश्यकता है। अन्यों की बुराई हमेशा अपने साथ अपराधिक आयाम को लेकर चलती है।
संत पापा ने सफाई देने वालों की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम कह सकते हैं कि अमुक व्यक्ति बहस किये जाने के योग्य है। फिर भी, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उसके लिए प्रार्थना करनी चाहिए। उसके लिए प्रायश्चित करें, उसके बाद यदि आवश्यक हो तो उसके बारे बात कर सकते हैं जो उसके भूल को सुधारने में मदद कर सकता है। पौल एक घोर पापी थे वे अपने बारे कहते हैं, "मैं पहले ईश निंदक था तथा एक अत्याचारी एवं एक कट्टर पंथी। किन्तु मैंने करूणा प्राप्त की।" शायद हम में से कोई भी ईश निंदक न हो किन्तु कोई बहस करता है तब हम निश्चय ही एक अत्याचारी हैं एवं एक कट्टपंथी। आइये हम अपने तथा पूरी कलीसिया के लिए मन परिवर्तन की कृपा मांगें, आलोचना करने के बजाय प्यार, विनम्रता, दीनता, सज्जनता एवं पड़ोसियों के प्रति प्रेम उत्तम है।








All the contents on this site are copyrighted ©.