येसु के मानवीय दुःख और मरिया की ‘दिव्यता’ को समझें
वाटिकन सिटी, शुक्रवार 13 सितंबक, 2013 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने वृहस्पतिवार
12 सितंबर को वाटिकन सिटी के सान्ता मार्था प्रार्थनालय में सम्पन्न यूखरिस्तीय बलिदान
में प्रवचन देते हुए कहा, "सुसमाचार के अनुसार ख्रीस्तीय जीवन जीने के लिये चाहिये कि
हम दो बिन्दुओं - येसु के ‘मानवीय दुःख’ और माता मरिया की ‘दिव्यता’ को समझें।
संत
पापा ने कहा कि, "सुसमाचार हमसे बड़े बलिदान का आह्वान करता है यह चाहता है कि हम क्षमा
करें, दिल विशाल रखें और अपने दुश्मनों को भी क्षमा दें। ऐसा करने के लिये लिये केवल
एक ही रास्ता है – येसु के दुःखभोग पर चिन्तन, येसु के मानवीय पक्ष पर चिन्तन और माता
मरिया के समान व्यवहार।"
माता मरिया के पवित्र नाम पर्व के दिन संत पापा ने कहा
कि प्राचीन समय में माता मरिया के नाम पर्व को ‘मरिया का प्रिय नाम का पर्व कह कर मनाया
जाता था। बाद में इसे बदल दिया गया पर अपने नाम के अनुसार ही माता मरिया ‘प्रिय और मोहक’
बनी रही।
संत पापा ने कहा कि आज भी दुनिया को माता मरिया की दयालुता की ज़रूरत
है ताकि हम उन बातों को समझ सकें जिनकी उम्मीद येसु हमसे करते हैं। येसु की इच्छा के
अनुसार जीवन जीना उतना आसान नहीं है। वे कहते हैं - अपने बैरी को अपने समान प्यार करे,
दूसरों का भला करो, पैसा लौटाये जाने की उम्मीद के बिना उधार दो। जो तुम्हारे एक गाल
पर थप्पड़ मारे उनके सामने दूसरा गाल भी कर दो आदि। ऐसा करना कठिन है पर माता मरिया ने
इसी पथ को अपनाया। यह विनम्रता का एक महान गुण है।
संत पापा ने कहा कि अपनी शक्ति
से ऐसा करना आसान नहीं पर ईश्वरीय कृपा से हम इसे अवश्य ही पूर्ण कर सकते हैं।
संत
पापा ने कहा कि हमें चाहिये कि बस येसु में हम अपना ध्यान केन्द्रित करें। यदि आपका ह्रदय
येसु के साथ है तो आप प्रभु के साथ ही विजय प्राप्त करेंगे जैसा कि उसने पाप, मृत्यु,
शैतान और दुनिया की हर चीज़ों पर विजय प्राप्त की है।
उन्होंने कहा कि येसु का
आमंत्रण है के प्रत्येक ख्रीस्तीय नम्र बने, भला, उदार और दयालु बने।