2013-09-13 15:46:14

दिल्ली गैंगरेप मामले पर सभी दोषियों को मौत की सज़ा


नयी दिल्ली, शुक्रवार 13 सितंबर, 2013 दिल्ली गैंगरेप मामले पर अदालत ने चारों दोषियों - विनय शर्मा, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय ठाकुर को मौत की सज़ा सुनाई है. अदालत ने चारों को पहले ही दोषी करार दे दिया था।
एक अभियुक्त राम सिंह की तिहाड़ जेल में मौत हो चुकी है और एक अन्य नाबालिग दोषी को तीन साल की सज़ा पहले ही सुनाई जा चुकी है।
दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कार्यवाही को स्थगित करते हुए अदालत ने अपना फ़ैसला शुक्रवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने अपने फ़ैसले में इस मामले को अपवाद मानते हुए सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई है। अदालत ने अपने फ़ैसले में यह भी कहा कि इस मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इन चारों पर सामूहिक बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास, अप्राकृतिक कृत्य, सुबूत मिटाने और डकैती के आरोप थे।
जज योगेश खन्ना ने कहा, "अदालत ऐसे अपराधों की तरफ आंख नहीं मूंद सकता। इस हमले ने समाज की अंतरआत्मा की आवाज़ को स्तब्ध कर दिया था। ये मामला सचमुच अपवाद का है और इसमें मृत्यु दंड ही दिया जाना चाहिए।"
जैसे ही जज योगेश खन्ना ने फ़ैसला सुनाया, दोषियों में से एक विनय शर्मा अदालत में ही रोने लगा।वहीं बचाव पक्ष के वकील ने चिल्ला कर कहा, "ये सच की जीत नहीं बल्कि न्याय की हार है।"
सज़ा के बाद बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने कहा कि इसे पक्षपातपूर्ण निर्णय बताया है। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया.
उन्होंने कहा, "अगर फाँसी देने से बलात्कार रुक जाएगा, तो हम इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील नहीं करेंगे।"
एपी सिंह ने कहा, "गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इस मामले में दख़ल दिया है। ये कोर्ट की अवमानना नहीं है। अगर इस फैसले के बाद दो महीने के अंदर कोई बलात्कार या हत्या नहीं होती है तो हम अभियुक्तों के लिए ऊपरी अदालत में नहीं जाएँगे।"
सरकारी वकील का कहना था, "कोर्ट में लड़की के माता पिता और भाई भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि ये न्याय की जीत है. दोषी चुप थे. बचाव पक्ष के वकील के आरोप गलत हैं। इस मामले में पक्के सबूत थे और सुप्रीम कोर्ट ने पाँच न्यायिक फैसलों को आधार बनाते हुए फैसला दिया है।"
साकेत कोर्ट के कमरा नंबर 304 में अदालत ने दो बजकर 35 मिनट पर चारों दोषियों को फाँसी की सज़ा सुनाई.
फ़ैसले के बाद अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने कहा, "माननीय जज योगेश खन्ना ने सभी दोषियों को फाँसी की सजा दी है। निर्भया के माता पिता इस फ़ैसले से खुश हैं और संतुष्ट हैं. उन्होंने कोर्टरूम में ही जज, पुलिस और जनता को धन्यवाद दिया. बचाव पक्ष के न्यायालय पर दबाव के आरोपों को नकारते हुए अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि न्यायालय पूरी तरह स्वतंत्र हैं.
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अदालत के फ़ैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि दामिनी और उसके परिवार को न्याय मिला है.
उन्होंने कहा, "न्यायदेवता ने एक नया उदाहरण रखा है कि इस तरह के अपराध करोगे तो इसके सिवा दूसरी सजा नहीं हो सकती है. मैं इसका स्वागत करता हूँ."
गृह मंत्री ने कहा कि वे हाइकोर्ट में जा सकते हैं, सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकते हैं, फिर फाँसी का वक्त आएगा, उसमें अभी देर हैं इसलिए फाँसी कब होगी इस बारे में वे अभी कुछ नहीं कह सकता.
उन्होंने कहा, "जब 16 दिसंबर को यह मामला हुआ था उसके बाद देश में एक माहौल पैदा हुआ था. हमने वर्मा कमेटी और मेहरा कमेटी की रिपोर्ट लगाई और पुलिस की कमी को भी देखा. उसके बाद दिल्ली में हमने 370 पीसीआर कार दिए हैं. पुलिस स्टेशनों में एफआईआर लिखने के लिए महिलाओं की तैनाती की गई हैं. देश की पुलिस फोर्स में 35 प्रतिशत तक महिलाएं रखने के दिशा निर्देश भी दिए जा चुके हैं."












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