वाटिकन सिटीः सिरिया पर सैन्य कार्रवाई होगी निर्रथक, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 06 सितम्बर सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने जी-20 देशों के नेताओं
से कहा है कि सिरिया की समस्या का समाधान सैन्य कार्रवाई में ढूँढ़ना निरर्थक है। गुरुवार
को, रूस के सेन्ट पीटर्सबर्ग में, जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन शुरु हुआ। इस सम्मेलन
से पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस ने आर्थिक रूप से समृद्ध विश्व के 20 देशों के नेताओं से
अपील की कि सिरिया पर वे सैन्य आक्रमण के विकल्प का चयन न करें। जी-20 देशों के
शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नाम लिखे पत्र में सन्त
पापा फ्राँसिस ने विश्व के नेताओं से आग्रह किया है कि वे "सिरिया के लिये सैन्य समाधान
के निरर्थक विकल्प को अलग ही रखें।" वैसे तो जी-20 शिखर सम्मेलन का मुख्य मुद्दा वैश्विक
आर्थिक संकट तथा इससे निपटना है किन्तु सीरिया का मुद्दा अन्य मुद्दों को गौण कर रहा
है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नाम सन्त पापा फ्राँसिस के पत्र की प्रकाशना
गुरुवार को वाटिकन द्वारा की गई। सन्त पापा ने पत्र में लिखाः "इस वर्ष के अन्तराल
में, विश्व की 20 विशाल अर्थव्यवस्थाओं के नेतृत्व का गौरव एवं ज़िम्मेदारी आपको प्राप्त
हुई। आपके नेतृत्व में जी-20 देशों ने इस वर्ष अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों के सुधार
तथा विश्व को आर्थिक मन्दी से बाहर करने का संकल्प किया है, तथापि, विश्व की अर्थव्यवस्था
तब ही विकास कर सकती है जब, वह जन्म के आरम्भिक क्षण से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक, सभी
मानव प्राणियों को प्रतिष्ठापूर्ण जीवन यापन की गारंटी प्रदान करे, उन लोगों को भी जो,
दूरस्थ स्थानों में, दूभर सामाजिक परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं।" उन्होंने आगे लिखाः
"इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि संघर्ष अन्तरराष्ट्रीय शांति पर ख़तरा है जो गहन विभाजन
उत्पन्न करता तथा बहुत समय तक न भरने वाले घावों को छोड़ देता है।" सन्त पापा ने
स्मरण दिलाया कि युद्ध महान आर्थिक एवं सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति को नाकाम कर देते
हैं। उन्होंने लिखाः "दुर्भाग्यवश, विश्व में व्याप्त अनेक युद्ध प्रतिदिन हिंसा, दरिद्रता,
भुखमरी, रोग एवं मृत्यु के नाटकीय दृश्यों को हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं।" उन्होंने
कहा, "शांति की अनुपस्थिति में किसी भी प्रकार के आर्थिक विकास की आशा नहीं की जा सकती।
हिंसा शांति नहीं ला सकती, वह विकास के लिये ज़रूरी परिस्थितियों के निर्माण में बाधा
डालती है।" इस सन्दर्भ में, सिरिया में जारी युद्ध तथा उस पर सैन्य कार्रवाई की
आशंका के चलते सन्त पापा लिखते हैं: "यह खेदजनक है सिरियाई संघर्ष के आरम्भिक बिन्दु
से ही एकतरफा समाधान सर्वेपरि रहा तथा ऐसे समाधान की खोज को दरकिनार कर दिया गया जो इस
समय हो रहे अर्थहीन नरसंहार को रोक सकता था।" 21 अगस्त को सिरिया में रासायनिक अस्त्रों
से नागरिकों पर आक्रमण के उपरान्त अमरीका तथा फ्राँस सिरिया पर सैन्य कार्रवाई के पक्ष
में हैं जबकि रूस और चीन जैसे देश सैन्य आक्रमण के विरुद्ध है। इटली सहित कुछेक यूरोपीय
देश भी संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा परिषद की सहमति के बिना सिरिया पर किसी भी प्रकार
की सैन्य कार्रवाई के पक्ष में नहीं हैं। सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि सैन्य
आक्रमण के विकल्प के बजाय अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को "वार्ताओं एवं समझौतों के माध्यम
से एक शांतिपूर्ण समाधान पर बल देना चाहिये।" अपने पत्र में सन्त पापा फ्राँसिस ने
रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से उनके लिये प्रार्थना की भी अपील की है। इस बीच,
स्मरण रहे कि सन्त पापा फ्राँसिस ने शनिवार सात सितम्बर को सिरिया के लिये प्रार्थना
और उपवास दिवस घोषित किया है जिसमें उन्होंने सम्पूर्ण विश्व के लोगों को आमंत्रित किया
है। इस दिवस के उपलक्ष्य में, शनिवार को रोम समयानुसार सन्ध्या सात बजे सन्त पेत्रुस
महागिरजाघर के प्राँगण में प्रार्थना जागरण का भी आयोजन किया गया है।