वाटिकन सिटीः "येसु की ज्योति प्रज्ञा एवं दूरदर्शिता का प्रकाश है", सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 04 सितम्बर सन् 2013 (सेदोक): "प्रभु येसु ख्रीस्त की ज्योति प्रज्ञा एवं
दूरदर्शिता का प्रकाश है जो हमें विवेक प्रदान करती तथा शांति के पथ पर अग्रसर होने का
आलोक देती है।" वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर
पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने यह बात कही। थेसलनीकी के लोगों को प्रेषित
सन्त पौल के पत्र में निहित वाक्य कि "आप अन्धकार में नहीं हैं क्योंकि आप प्रकाश की
सन्तान हैं", पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "येसु की ज्योति प्रज्ञा, विवेक और
दूरदर्शिता का प्रकाश है, वह सांसारिक ज्योति की तरह कृत्रिम ज्योति नहीं अपितु ऐसी ज्योति
है जो शांति प्रदान करने में सक्षम है।" उन्होंने कहा, "सांसारिक ज्योति कृत्रिम ज्योति
है जो प्रबल, शक्तिशाली और चकाचौंध करनेवाली हो सकती है जैसे आतिशबाज़ी से उत्पन्न क्षणिक
ज्योति किन्तु प्रभु येसु की ज्योति मृदुल, सौम्य एवं कोमल ज्योति है जो मनुष्यों को
शांति से आलोकित करती है।" सन्त पापा ने कहा कि येसु से आनेवाली ज्योति नकली नहीं
होती क्योंकि वह हृदयों का स्पर्श करती है। उन्होंने सचेत किया कि कई बार शैतान भी चमकीले
स्वर्गदूत के वेश में हमारे समक्ष प्रस्तुत होता है तथा हमें प्रलोभन में डालता है किन्तु
सतत् प्रार्थना द्वारा हम प्रलोभन से दूर हो सकते हैं तथा येसु की यथार्थ ज्योति के चयन
का विवेक पाते हैं। सन्त पापा ने कहा कि येसु की ज्योति को उसकी विनम्रता और सौम्यता
से पहचाना जा सकता है, यह ऐसी ज्योति है जो मानव हृदय से बात करती है। उन्होंने कहा कि
यदि मनुष्य का ज्ञान उसे अहंकारी और दम्भी बनाता है तो वह अन्धकार में डूबा है। सन्त
पापा ने कहा कि येसु को अपदूतों को भगाने के लिये किसी प्रकार के हथियारों की ज़रूरत
नहीं पड़ी, उन्हें घमण्ड अथवा अहंकार की शक्ति की ज़रूरत नहीं पड़ी। उन्होंने कहा कि
बुराई की शक्तियों को इस संसार और हमारे जीवन से दूर करने के लिये हथियारों की नहीं अपितु
विनम्रता, प्रेम एवं मृदुलता के अस्त्रों की नितान्त आवश्यकता है।