काठमांडू, 04 सितम्बर सन् 2013 (एशियान्यूज़): काठमांडू में ख्रीस्तीय समुदायों को उनके
मृतकों को आधिकारिक कब्रस्तानों से बाहर दफनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। स्थानीय
सूत्रों ने एशियान्यूज़ को बताया, "जब से सरकार ने पशुपतिनाथ हिंदू मंदिर के निकट निर्माण
पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तब से देश में ईसाई और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को कब्रस्तान
में जाने की अनुमति नहीं है तथा वे दूर जंगलों एवं नदियों के निकट अपने मृतकों के अंतिम
संस्कार के लिये बाध्य हैं।" दो वर्ष पूर्व शहर के अधिकारियों ने पशुपतिनाथ हिंदू
मंदिर तथा उसके आस पड़ोस की भूमि की रक्षा हेतु अन्य धर्मों के नेपालियों द्वारा अंतिम
संस्कार पर रोक लगा दी थी। पशुपति क्षेत्र विकास ट्रस्ट के सुशील नाहटा का कहना
है कि यह फ़ैसला हिन्दू भूमि की पवित्रता को सुरक्षित रखने के लिये लिया गया था। उनका
कहना था, "कुछेक क्षेत्रों में, कब्रस्तानों का अनियमित तरीके से विस्तार हो रहा था जिसे
रोका जाना आवश्यक था।" उन्होंने कहा, "यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह ख्रीस्तीयों
एवं अन्य अल्पसंख्यकों को कब्रस्तानों के लिये अलग क्षेत्र आबंटित करे।" सरकार की
कार्रवाई के परिणाम स्वरूप काठमांडू घाटी में धार्मिक अल्पसंख्यकों को, जनसंख्या केन्द्रों
से दूर, अपने मृतकों को दफनाने हेतु बाध्य होना पड़ा है और कई बार उनपर हिन्दू भूमि को
अपवित्र करने के भी आरोप लगाये गये हैं। सन् 2011 के अप्रैल और मई माहों के बीच,
काठमाण्डू में ख्रीस्तीयों ने 39 दिनों की भूख हड़ताल की थी जिसके बाद सरकार ने समस्या
के समाधान हेतु सरकार एवं अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति बनाई है
किन्तु इसकी बैठकें अब तक कोई रचनात्मक फल नहीं ला सकी हैं। अल्पसंख्यकों ने आरोप
भी लगाया है कि हिन्दु बहुल राष्ट्र नेपाल की सरकार अन्य धर्मों के लोगों के अधिकारों
की सुरक्षा हेतु कोई उपाय नहीं कर रही है।