2013-09-02 15:49:54

शांति एक बहुमूल्य वरदान है जिसकी रक्षा करना आवश्यक


वाटिकन सिटी, सोमवार 2 सितम्बर 2013 (सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, रविवार 1 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को संबोधित कर कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
आज, मैं अपनी आवाज़ के साथ उन आवाज़ों को जोड़ना चाहता हूँ जो दुनिया के सभी हिस्सों में बढ़ती पीड़ा के कारण उठ रहीं हैं, एक बृहद मानव परिवार के सभी सदस्यों के हृदय में शांति के लिए रोती आवाज़ है। यह एक ऐसी आवाज़ है जो विभाजन एवं टकराव के कारण टूट चुकी है, दृढ़ता पूर्वक घोषणा करती है कि हम एक शांतिपूर्ण संसार की कामना करते, हम शांति के जन बनना चाहते तथा इसे अपने समाज में प्राप्त करना चाहते हैं, वह शांति जो युद्ध को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दे। शांति एक बहुमूल्य वरदान है जिसकी रक्षा करना एवं जिसे प्रोत्साहन देना आवश्यक है।"
संत पापा ने कहा, "संसार में कई तरह के संघर्ष हैं जो मेरे लिए भारी दुःख एवं चिंता के कारण हैं, किन्तु इन दिनों मेरे हृदय में गहरे घाव हो गये हैं विशेष कर, सीरिया में नित्य बढ़ते दुःख के कारण।
संत पापा फ्राँसिस ने लोगों से शाँति के लिए अपील करते हुए कहा, "मैं दृढ़तापूर्वक शांति की अपील करता हूँ, ऐसी अपील जो मेरे हृदय के अंतःस्थल से निकलती है। हथियारों के प्रयोग ने उस शहीद देश को कितना अधिक दुःख, विनाश एवं पीड़ा दी है, ख़ासकर आम नागरिकों एवं निहत्थों को। मैं सोचता हूँ कि बहुत सारे बच्चे भविष्य का प्रकाश नहीं देख पायेंगे। मैं रासायनिक हथियार के प्रयोग की कड़ी निन्दा करता हूँ। मैं आपको बताता हूँ कि इन भयावह दृश्यों ने मेरे मन एवं हृदय को जला दिया है। हमारे कार्य, ईश्वर एवं इतिहास की दण्डाज्ञा से बच नहीं सकते। आरम्भ से अब तक हिंसा कभी भी शांति नहीं ला पाई है। हिंसा -हिंसा को ही जन्म देती है।"
संत पापा ने संघर्ष करने वाले दोनों दलों से आग्रह किया कि वे अपने अंतःकरण की आवाज सुनें, केवल अपने स्वार्थ में सिमट कर न रह जाएं, बल्कि एक-दूसरे को भाई की तरह देखें। इस अंधे संघर्ष से बाहर आने के लिए पूर्ण दृढ़ता एवं साहस के साथ एक-दूसरे के सामने आएं तथा वार्तालाप करें।
संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संबोधित कर कहा, "इसी दृढ़ता से मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी संबोधित करता हूँ कि वह देश में शांति के स्पष्ट प्रस्तावों को प्रोत्साहन देने हेतु शीघ्र पहल करे। समस्त सीरियाई लोगों के हित, एक शांति आधारित संवाद एवं समझौता वार्ता करें।
इस भयंकर संघर्ष से प्रभावित लोगों के लिए, कोई भी पहल मानवतावादी मदद की गारंटी को व्यर्थ न करे।
विशेषकर, जो पलायन एवं कई निकटवर्ती देशों में शरणार्थी बनने के लिए मज़बूर किये गये हैं।
मानवतावादी कार्यकर्त्ताओं की ज़िम्मेदारी है कि वे लोगों के दुःख को खत्म करें, अतः संत पापा ने आग्रह किया कि वे आवश्यक मदद पहुँचाने हेतु अपने को उपलब्ध बनायें।
संत पापा ने प्रश्न रखा, "दुनिया में शांति लाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?" इस प्रश्न का जवाब स्वयं देते हुए उन्होंने कहा, "जैसा कि धन्य संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने कहा है, ‘यह प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है कि वह न्याय एवं प्यार की अगुवाई और निगरानी में मानव समाज में नये रिश्ते स्थापित करें।’"(जॉन 23 वें, पाचेम एन तेर्रिस, (11अप्रैल 1963)
सद् इच्छा रखने वाले सभी लोग शांति कायम करने के कार्य से बंधे हैं। यह पूरी काथलिक कलीसिया एवं अन्य ख्रीस्तीय समुदायों और साथ ही साथ अन्य धर्मों को मानने वाले भाई-बहनों को सम्बोधित एक सशक्त एवं अत्यावश्यक निमंत्रण है। उन लोगों को भी यह सम्बोधित करता है जो विश्वास नहीं करते क्योंकि शांति वह कोष है जो सब सीमाओं को पार करती है, यह सम्पूर्ण मानव जाति का कोष है।
मैं पुनः बल देकर दुहराता हूँ: न तो विरोध की संस्कृति और न ही संघर्ष की संस्कृति लोगों के बीच समन्वय लाती है बल्कि मुलाकात की संस्कृति एवं संवाद की संस्कृति ही एकमात्र रास्ता है शांति का।
मेरी मंगलकामना है कि शांति की कराह ऊंची उठे एवं सभी के हृदय को छू ले जिससे कि वे अपने हथियारों को छोड़ दें तथा शांति की चाह से संचालित हों।
संत पापा ने विश्वासियों को अपनी योजना की जानकारी देते हुए कहा, "भाइयो एवं बहनों, मैंने पूरी कलीसिया के लिए यह निश्चय किया है कि अगले 7 सितम्बर को माता मरिया शांति की महारानी के जन्म दिवस के एक दिन पूर्व सीरिया, मध्य पूर्वी एवं दुनिया भर में शांति हेतु उपवास एवं प्रार्थना का दिन रखा जाए। मैं इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को निमंत्रण देता हूँ ख्रीस्तीय सहित अन्य धर्मानुयायियों एवं सभी सद्इच्छा रखने वाले लोगों को, वे जिस किसी तरह से भी इसमें शामिल हो सकते हैं। "संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 7 सितम्बर को, संध्या 7.00 से रात्रि 12.00 बजे तक एकत्र होकर प्रायश्चित की भावना लिए, हमारे प्यारे देश सीरिया तथा दुनिया में जहाँ कहीं भी संघर्ष एवं हिंसा की स्थिति है वहाँ शांति के महान वरदान के लिए ईश्वर से हम प्रार्थना करेंगे।"
मानवता को इन शांति के भावों को तथा आशा एवं शांति के शब्दों को देखने एवं सुनने की आवश्यकता है। मैं सभी स्थानीय कलीसियाओं से अनुरोध करता हूँ कि उपवास के साथ इस निवेदन के लिए प्रार्थना करने एकत्र हों।
माता मरिया से सहायता की याचना करें कि हम हिंसा, संघर्ष एवं युद्ध का प्रत्युत्तर वार्तालाप, मेल-मिलाप एवं प्यार से दे सकें। वे हमारी माँ हैं और हम उसके बच्चे हैं। वे हमें शांति प्राप्त करने में मदद करें। माता मरिया हमारी सहायता करें कि हम इस कठिन परिस्थिति से बाहर आ सकें एवं प्रत्येक दिन शांति एवं मुलाकात की विशुद्ध संस्कृति को हर परिस्थिति में निर्मित करने के प्रति समर्पित रह सकें।
हमारी माता एवं शांति की महारानी, हमारे लिए प्रार्थना कर।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के बाद संत पापा ने देश-विदेश से आये विभिन्न भाषा-भाषियों के सभी पयर्टकों तथा तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।
उन्होंने कहा, "प्यारे भाइयो एवं बहनो,
इस्ताम्बुल में जन्मे एक धर्मप्रांतीय पुरोहित व्लादीमीर घिका, कल बुकारेसेट में धन्य घोषित किये गये जिनकी शहादत सन् 1954 ई. में बुकारेस्ट में हुई थी।
कल मेस्सीना में मेला के संत लूसिया के धर्माध्यक्ष अंतोनियो फ्रांको की धन्य घोषणा समारोह सम्पन्न होगी, जिनका जीवन काल 16वीं से 17वीं शताब्दी के बीच था। आइये हम, सुसमाचार के इन आदर्श साक्षियों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें।
आज, ईटली में धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा सृष्टि की रक्षा एवं प्रोत्साहन का दिन निश्चित किया गया है। इस वर्ष की विषयवस्तु अति उत्तम है, ‘परिवार सृष्टि के संरक्षण की शिक्षा देता है।’माता मरियम के मध्यस्थता से प्रभु हमें अपनी करुणा का एहसास कराते हैं। हम दुखों की माता की 60 वर्षीय हीराक जयन्ती के अवसर पर सिराकुस के सभी विश्वासियों के साथ मिलकर प्रार्थना करें।"
अंत में, संत पापा ने सभी का सस्नेह अभिवादन करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।









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