रोमः ईश्वर की खोज में लगे रहें, अगस्टीन धर्मसमाजियों से सन्त पापा फ्राँसिस
रोम, 29 अगस्त सन् 2013 (सेदोक): रोम में बुधवार, 28 अगस्त को सन्त अगस्टीन के पर्व के
दिन, सन्त पापा फ्राँसिस ने काम्पो मार्सियो स्थित सन्त अगस्टीन महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग
अर्पित कर, अगस्टीन धर्मसमाजियों के विश्व प्रतिनिधियों की आम सभा का उदघाटन किया। ख्रीस्तयाग
के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने धर्मसमाजियों से आग्रह किया कि वे सन्त अगस्टीन
के पद चिन्हों पर चलते हुए ईश्वर की खोज में सदैव लगे रहें। सन्त अगस्टीन धर्मसमाज
की स्थापना सन् 1244 ई. में की गई थी। आगामी तीन सप्ताहों तक, रोम में, धर्मसमाज के विश्व
प्रतिनिधियों की आम सभा जारी रहेगी जिसमें धर्मसमाज के विश्व प्रमुख की भी नियुक्ति की
जायेगी। ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा फ्राँसिस ने सन्त अगस्टीन के शब्दों को
उद्धृत कर कहा, "हमारे हृदय तब तक बेचैन रहते हैं जब तक वे ईश्वर में विश्राम नहीं पाते।"
सन्त पापा ने कहा कि सन्त अगस्टीन की बेचैनी तीन मूलभूत बातों के प्रति प्रत्येक ख्रीस्तीय
का ध्यान आकर्षित करती है और वे हैं, आध्यात्मिक जीवन एवं ईश्वर की खोज हेतु व्यग्रता
तथा अन्यों के प्रति प्रेम की उत्कंठा। सन्त पापा ने कहा कि सन्त अगस्टीन आज के
युवाओं से भिन्न नहीं थे उन्होंने भी बाल्यकाल से धर्म की शिक्षा पाई थी तथा आगे शिक्षित
होकर वे एक विख्यात वक्ता एवं प्राध्यापक बन गये थे किन्तु इससे उनके मन की प्यास नहीं
बुझी। उन्होंने कहा, "जीवन का गहन अर्थ पाने के लिये अगस्टीन का अन्तरमन सदैव व्यथित
रहा, वे इसके लिये सदैव बेचैन रहे। उनका हृदय सुसुप्त नहीं रहा, वह सफलता और सत्ता के
उन्माद में नहीं डूबा बल्कि ईश्वर की खोज में लगा रहा।" सन्त पापा ने कहा कि सभी
ख्रीस्तीयों को अपने अन्तरमन की जाँच करनी चाहिये और देखना चाहिये कि क्या उनका मन सांसारिक
चीज़ों से भरा है अथवा उनमें ईश्वर की प्यास है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ख्रीस्तानुयायी
को चाहिये कि वह ईश्वर को खोजने हेतु बचैन रहे तथा सुसमाचार के प्रेम सन्देश का वरण कर
इसे अन्यों में प्रसारित करे।