हैदराबादः कलीसियाई सम्पत्ति पर कानून का धर्माध्यक्षों द्वारा विरोध
हैदराबाद, 26 अगस्त सन् 2013 (ऊका समाचर): आन्ध्रप्रदेश के कलीसियाई संघ (एपीएफपी) ने
राज्य सरकार द्वारा कलीसियाई सम्पत्ति एवं कलीसियाई शिक्षा संस्थानों पर कानून के निर्माण
हेतु मंत्रियों की एक समिति को नियुक्त किये जाने का विरेध किया है। आन्ध्रप्रदेश
के ख्रीस्तीय धर्माध्यक्षों के संघ ने 24 अगस्त को मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी को
एक पत्र लिखकर इस बात पर बल दिया कि कलीसियाई सम्पत्ति की देखरेख एवं उसपर किसी भी प्रकार
का निर्णय केवल धर्माध्यक्षों का होना चाहिये क्योंकि वे ही कलीसिया के वैध प्रतिनिधि
हैं। उन्होंने लिखा कि व्यक्तिगत ख्रीस्तीय धर्मानुयायी, भले ही वे विधान सभा अथवा
संसद के सदस्य ही क्यों न हों कलीसिया एवं ख्रीस्तीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का
दावा नहीं कर सकते। इस बात को स्वीकार करते हुए कि कलीसिया के कुछेक व्यक्ति कलीसियाई
सम्पत्ति के अवैध विक्रय में संलग्न थे तथा अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे थे धर्माध्यक्षों
ने कहा कि इस काम के लिये अदालतें हैं जहाँ सम्बन्धित समुदाय अथवा व्यक्ति शिकायत कर
सकते हैं। तथापि, उन्होंने कहा कि इन अनियमितताओं की आड़ में कलीसियाओं पर कानून थोपना
सरासर अन्यायपूर्ण है। मुख्य मंत्री रेड्डी को लिखे पत्र में आन्ध्रप्रदेश के धर्माध्यक्षों
ने कहा कि इस प्रकार के कदम से ख्रीस्तीय समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता कुण्ठित होगी
तथा उनके मूलभूत अधिकारों का अतिक्रमण होगा।