विश्वास को जीने का अर्थ केवल थोड़े से धर्म से जीवन को संवारना नहीं है, संत पापा
वाटिकन सिटी, सोमवार 19 अगस्त 2013 (सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 18 अगस्त को
संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना
का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति
प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, इब्रानियों के नाम पत्र से लिया गया आज का रविवारीय
धर्मविधिक पाठ कहता है, "ईसा पर दृष्टि लगा कर, धैर्य के साथ उस दौड़ में आगे बढ़ते जायें,
जिस में हमारा नाम लिखा गया है। ईसा हमारे विश्वास के प्रवर्तक, उसे पूर्णता तक पहुँचाते
हैं।"(इब्रा.12:1-2) यह एक अनुभव है जिसे हमें प्रमुखता देना है ख़ासकर विश्वास को
समर्पित इस वर्ष में। हमने सालभर येसु पर अपनी दृष्टि लगाई है क्योंकि विश्वास ईश्वर
के साथ पिता तुल्य संबंध पर ‘हाँ’ है जो पिता से आता है तथा जिसको येसु लेकर आते हैं।
पिता स्वर्ग में हैं एवं उनके तथा हमारे बीच संबंध जोड़ने वाले एकमात्र मध्यस्थ येसु
हैं। येसु पिता के पुत्र हैं जिन से संयुक्त होकर हम ईश्वर के पुत्र पुत्रियाँ बनते हैं।
इस रविवार के लिए प्रस्तावित ईश वचन येसु के एक ऐसे वचन को हमारे समक्ष रखता है जो
हमें संकट में डाल देता है और इससे ग़लत फहमी उत्पन्न हो सकती है अतः इसकी व्याख्या किये
जाने की आवश्यकता है। पाठ में येसु अपने शिष्यों से कह रहे हैं, "क्या तुम सोचते हो कि
मैं इस संसार में शांति लेकर आया हूँ? ऐसा नहीं है, मैं फूट डालने आया हूँ।"(लूक.13:51)
संत पापा ने प्रश्न किया, "येसु के ऐसा कहने का अर्थ क्या है? येसु कहना चाहते हैं कि
विश्वास अलंकारिक, सजावटी नहीं है; धर्मपालन या विश्वास को जीने का अर्थ केवल थोड़े से
धर्म से जीवन को संवारना नहीं है मानों वह कोई केक हो जिसे क्रीम से सजाया जाए। जी नहीं,
विश्वास ऐसा नहीं है, हम विश्वास द्वारा ईश्वर प्रदत्त मापदंड पर आधारित जीवन को चुनते
हैं। ईश्वर शून्य नहीं हैं और न ही उदासीन, बल्कि सदैव अच्छे हैं, ईश्वर प्यार है तथा
प्यार अच्छा है। येसु के इस संसार में आने के बाद हम ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते हैं कि
ईश्वर कोई अस्पष्ट या शून्य चीज़ हो तथा हम उन्हें नहीं जानते हों। नहीं, ईश्वर की एक
ठोस आकृति है। उसका एक नाम है: ईश्वर दयालु है, ईश्वर विश्वस्त है, ईश्वर जीवन है तथा
हमारे लिए दिया गया एक उपहार है। इस कारण येसु का यह कहना कि मैं फूट डालने आया हूँ लोगों
के बीच विभाजन लाना नहीं हैं। इसके विपरीत, येसु हमारी शांति और मेल-मिलाप हैं किन्तु
यह शांति कब्र की शांति नहीं है यह उदासीनता नहीं है। येसु उदासीनता नहीं लाते हैं। यह
शांति हर हालात में कोई समझौता नहीं है। येसु का अनुसरण करने का अर्थ है- बुराई तथा स्वार्थ
का परित्याग कर अच्छाई, सच्चाई, न्याय, त्याग एवं अपने रुचि के परित्याग आदि को चुनना।
संत पापा कहते हैं कि यही लोगों में विभाजन लाता है यहाँ तक कि निकटतम रिश्तों के बीच
भी। किन्तु हम सावधान रहें, येसु हमें विभाजित नहीं करते - अपने लिए जीना या ईश्वर के
लिए, दूसरों की सेवा करना या अपनी सेवा कराना, अपनी इच्छा पर चलना या ईश्वर की आज्ञा
मानना, इसी भाव में "येसु विरोधाभास के चिन्ह है।"(लूक.2:34) अस्तु, सुसमाचार के
वचन विश्वास के प्रचार के लिए बल प्रयोग का अधिकार प्रदान नहीं करते इसके बिलकुल विपरीत:
ख्रीस्तीयों का सच्चा बल; सत्य एवं प्यार की शक्ति है जो सभी प्रकार की हिंसा का परित्याग
करती है। विश्वास एवं हिंसा दोनों में कोई मेल नहीं हैं जबकि विश्वास एवं साहस साथ-साथ
चलते हैं। ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हिंसक नहीं होता बल्कि मज़बूत होता है। नम्रता एवं प्यार
की ताक़त के कारण। प्रिये मित्रो, सुसमाचार हमें बतलाता है कि येसु के रिश्तेदारों
में से भी कुछ लोगों ने इस प्रकार के जीवन पथ एवं शिक्षा को नहीं अपनाया।(मार.3:20-21)
किन्तु उनकी माता ने विश्वास पूर्वक इसका पालन किया। अपनी निगाह एवं हृदय को सर्वोच्च
ईश्वर के पुत्र येसु एवं उनके रहस्य की ओर उठाया। हम माता मरिया के विश्वास के लिए धन्यवाद
दें। येसु का परिवार प्रथम ख्रीस्तीय परिवार का आदर्श बन गया है। आइये, हम माता मरिया
की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि वे हमारा ध्यान येसु पर केंद्रित करने में हमारी
सहायता करें एवं हम हमेशा उनका अनुसरण करते रहें, उन अवसरों पर भी जब हमें यह कठिन महसूस
हो। याद रखें कि येसु का अनुसरण करना उदासीनता या तटस्थ रहना नहीं है बल्कि
सहभागी होना है। विश्वास एक श्रृंगार प्रसाधन नहीं है किन्तु इसके द्वारा हम अपनी आत्मा
का बल प्राप्त करते हैं। इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत का पाठ किया तथा सबको
अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया। देवदूत प्रार्थना के पश्चात संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों
एवं पर्यटकों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, मैं सस्नेह आप सभी का
अभिवादन करता हूँ। फिलिपीन्स में नाव डूबने के शिकार लोगों के लिए मैं आप सभी से प्रार्थना
का आग्रह करता हूँ। अत्यधिक कष्ट सह रहे परिवारों के लिए तथा मिश्र में शांति हेतु हम
प्रार्थना करना जारी रखें। शांति की महारानी मरियम हमारी लिए प्रार्थना करें, मरियम शांति
की महारानी हमारे लिए प्रार्थना करें। अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की
मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।