2013-08-15 14:52:21

संघर्ष, पुनरुत्थान और आशा पर संत पापा का चिन्तन।


कास्तेल गंदोल्फो, वृहस्पतिवार 15 अगस्त, 2013 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने कुँवारी माता मरिया के स्वर्गारोहण के महापर्व के अवसर पर रोम के निकट कास्तेल गंदोल्फो में यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित किया।

अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा ने अपने संविधान के अन्त में माता मरिया पर बहुत ही सुन्दर चिन्तन प्रस्तुत किया है।

इसके अनुसार माता मरिया निष्कलंक गर्भागमन हैं और आदि पाप के दाग से मुक्त हैं। जब उनका जीवन दुनिया में समाप्त हो गया तब उनके शरीर और आत्मा को स्वर्गीय महिमा में उठा लिया गया और वहाँ प्रभु ने उन्हें सब चीज़ों का रानी बना दिया।

इतना ही नहीं, इसमें यह भी कहा गया है कि येसु की माँ को स्वर्ग में जो महिमा प्राप्त है वह कलीसिया के आरंभ का चिह्न है जो उचित समय में पूर्ण होगा।

संत पापा ने कहा कि माता मरिया के इसी महत्वपूर्ण चित्रण के आधार पर हम आज के पाठों की तीन विशेषताओं पर चिन्तन करें। वे हैं – संघर्ष, पुनरुत्थान और आशा।

प्रकाशना ग्रंथ इस बात को प्रस्तुत करता है कि महिला और पंखदार साँप या डैगन के बीच के संघर्ष है। महिला कलीसिया का प्रतीक है जो विजयी है फिर भी वह हरदम मुसीबतों और चुनौतियों से घिरी है या हम कहें अच्छाई और बुराई से घिरी है। इसी संघर्षपूर्ण ज़िन्दगी में माता मरिया येसु के चेलों को कभी नहीं छोड़ देती है। वह अब ईश्वरीय महिमा में है पर इसका मतलब यह नहीं कि वह हमसे और कलीसिया से दूर है। वह हमेशा बुरी ताकतों पर ईसाइयों को विजय होने की शक्ति प्रदान करती है। आप सदा पार्थना करें विशेष करके रोजरी प्रार्थना।

दूसरे पाठ हम पाते हैं कि प्रेरित संत पौल पुनरुत्थान के बारे में कुरिन्थियों को लिखते हैं और इस बात पर बल देते हैं कि ईसाई होने का अर्थ है येसु के पुनरुत्थान पर विश्वास करना।

ख्रीस्तीय जीवन का आधार है येसु के जी उठने पर विश्वास करना, जो एक विचार नहीं घटना है। येसु ने अपने पुनरुत्थान के द्वार सदा के लिये स्वर्ग में प्रवेश किया और माता मरिया भी वफ़ादारी से उनका अनुकरण किया।

माता मरिया ने भी येसु के साथ शहीद होने का अनुभव किया। उन्होंने येसु के दुःखों का गहराई से अनुभव किया। चूँकि माता मरिया ने येसु के दुःख का करीबी से अनुभव किया इसी लिये उन्हें येसु ने पुनर्जीवित होने का वरदान दिया।

.
संत पापा ने कहा कि आज के चिन्तन का तीसरी बिन्दु है - आशा। आशा ऐसे लोगों का गुण है जो जीवन में संघर्ष कर रहे होते हैं। उनका जीवन दो चुनौतियों जीवन और मृत्यु तथा अच्छाई और बुराई के बीच झूलता रहता है। आशा का जीवन येसु के पुनरुत्थान और प्रेम विजय में विश्वास रखने का त्योहार है।

माता मरिया द्वारा गया गया गीत ‘मगनीफिकात’ आशा का गीत है। जो हम यह बतलाती है कि ईश्वर मानव के इतिहास में साथ देते रहे हैं। आज भी काथलिक कलीसिया इसी गीत को गाती रहती है ऐसे स्थानों में जहाँ ईश्वर का शरीर आज भी दुःख झेल रहा है। माता मरिया वहाँ भी है, उनका साथ दे रही है और उनके साथ आशा का विजयगीत गाती है।

आज हम एकता के सूत्र में बँधकर धैर्य और विजय के गीत गायें, संघर्ष और आनन्द के गीत गायें जो हमें इस धरा स्वर्ग इतिहास और अनन्तकाल तक विजयी बनायेगा।










All the contents on this site are copyrighted ©.