2013-08-12 16:07:53

दलित ख्रीस्तीय और मुसलमानों ने ‘काला दिवस’ मनाया


नई दिल्ली, सोमवार, 12 अगस्त 2013 (उकान) दलित ख्रीस्तीय और मुसलमानों ने अनुसूचित जाति का दर्जा दिये जाने और हिन्दु दलितों के बराबर अधिकार प्राप्त करने की माँग को लेकर 9 अगस्त शुक्रवार को ‘काला दिवस’ रूप में मनाया।
प्रदर्शनकारियों ने नयी दिल्ली के सेक्रेड हार्ट कथीड्रल के प्राँगण में जमा होकर सरकार विरोधी नारे लगाये और 63 साल पहले सन् 1950 ईस्वी में राष्ट्रपति द्वारा दिये गये उस भेदभावपूर्ण निर्देश के प्रति अपने रोष व्यक्त किया जिसने दलित ईसाइयों और मुसलमानों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है।
मालूम हो कि राष्ट्रपति का निर्देश ईसाई और इस्लाम धर्म जाति प्रथा को अस्वीकार नहीं करते का तर्क देकर दोनों समुदायों को सामाजिक लाभों से वंचित कर दिया है।
आठ वर्ष पहले सर्वोच्च न्यायालय में 1950 के संवैधानिक संशोधन की मान्यता के विरुद्ध केस दायर कर चुनौती दी गयी थी।
संशोधन में कहा गया है कि "कोई भी व्यक्ति जो हिन्दु धर्म से अलग धर्म मानता हो अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं हो सकता है।"
प्रदर्शनकारियों ने माँग की है कि केन्द्र सरकार इस समस्या के समाधान के लिये ठोस कदम उठाये।
उन्होंने यूपीए सरकार से कहा है कि वह रंगनाथ मिश्रा आयोग के आधार पर पूछे गये सुप्रीम कोर्ट के सवालों का उचित और शीघ्र उत्तर दे।
धर्म के आधार पर व्यक्ति को उसके अधिकारों से वंचित करना अन्याय है। दिल्ली महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष अनील कूतो ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति तब ही संभव हो सकती है जब हर व्यक्ति के साथ समान व्यवहार हो।
प्रदर्शन का आयोजन सीबीसीआई, नैशनल कौंसिल फॉर दलित क्रिश्चियनस और नैशनल कौंसिल फॉर चर्चेस इन इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
चर्च ऑफ नोर्थ इंडिया के महासचिव ऑल्विन मसीह ने कहा कि देश के लिये यह शर्मिदा की बात है कि अधिकार पाने के लिये उस हिन्दु होना है।
उधर दलित मुस्लिमों के वकील मुशताक अहमद ने कहा कि अनुसूचित जाति का दर्जा पाने की लड़ाई सामाजिक, कानूनी तथा संवैधानिक न्याय की लड़ाई है।














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