स्वयंसेवकों ने हज़ारों युवाओं के लिए येसु से मिलने का रास्ता तैयार किया
वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 जुलाई 2013 (सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार, 28 जुलाई
को रियो दे जानेरो में विश्व युवा दिवस हेतु नियुक्त, 15 हज़ार स्वयंसेवकों से मुलाकात
की तथा उनके अथक प्रयास एवं सेवा के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, प्रिय स्वयंसेवको,
शुभसंध्या, मैं आपके कार्यों एवं समर्पण के लिए, सस्नेह व्यक्तिगत धन्यवाद दिये बिना
रोम वापस नहीं लौट सकता, आपने हज़ारों युवाओं को साथ दिया,उनकी मदद की एवं हर प्रकार
की सेवाएँ प्रदान कर इस विश्व युवा दिवस को विश्वास का अविस्मरणीय एहसास दिया है। अपनी
मधुर मुस्कान, मेहरबानी तथा सेवा करने की तत्परता द्वारा सिद्ध कर दिया है कि "लेने की
अपेक्षा देना अधिक सुखद है।"(प्रे.च.20:35) संत पापा ने स्वयंसेवकों के कार्य की
तुलना संत योहन बपतिस्ता के मिशन अर्थात येसु के लिए रास्ता तैयार करने वाले के मिशन
से की। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवियों ने अपने तरीके से हज़ारों युवाओं के लिए येसु से
मिलने का रास्ता तैयार किया है। रास्ता तैयार करना एक उत्तम सेवा है, जिससे सभी ईश्वर
को पहचान सकें, उनसे मुलाकात एवं प्यार कर सकें। आप हमेशा ईश्वर एवं दूसरों के प्रति
उदार बनें रहें। ईश्वर आपको एक निश्चित चयन के लिए बुलाते हैं तथा आपके प्रति उनकी
एक निर्धारित योजना है। उस योजना को पहचानना एवं बुलाहट का प्रत्युत्तर देना, जीवन में
आगे बढ़ना है। ईश्वर हम प्रत्येक को पवित्र बनने एवं उनके जीवन के सहभागी होने के लिए
बुलाते हैं, किन्तु हम प्रत्येक के लिए एक ख़ास रास्ता है। कुछ लोग शादी संस्कार द्वारा
पारिवारिक जीवन को अपना कर पवित्र जीवन ज़ीने के लिए बुलाये गये हैं। आज, कुछ लोग कह
सकते हैं कि शादी करना आधुनिक फैशन से बाहर हो चुका है। कई लोग सापेक्षवाद एवं अल्पकालिक
संस्कृति में पल की खुशी पर विश्वास करते हैं। वे सोचते हैं कि जीवन भर का समर्पण एवं
एक निश्चित निर्णय करना अधिक फ़ायदे का नहीं है क्योंकि वे नहीं जानते कि कल क्या होने
वाला है। मैं आप से कहना चाहता हूँ कि धारा के विपरीत तैरने के लिए क्रांतिकारी न बनें
। उस संस्कृति का विरोध करें जो विश्वास करता है कि आप उत्तरदायित्व नहीं ले सकते हैं
एवं सच्चे प्यार के लायक नहीं हैं। मुझे आप पर पूरा भरोसा है। मैं आपके लिए प्रार्थना
करता हूँ कि आप धारा के विपरीत दिशा में तैर सकें एवं खुशी को प्राप्त करने के लिए निर्भीक
बनें। ईश्वर कुछ लोगों को पुरोहित होकर भले चरवाहे के हृदय से सभी लोगों को प्यार
हेतु पूर्ण समर्पण के लिए बुलाते हैं। कुछ लोगों को दुनिया की अच्छाई के लिए धर्मसंघी
बनकर प्रार्थना करने एवं ज़रुरत मंदों को सेवा देने के लिए बुलाते हैं। मैं 21 सितम्बर
को कभी नहीं भूलता हूँ जब मैंने 17 वर्ष की उम्र में पहली बार ईश्वर की पुकार सुनी थी।
ईश्वर को ‘हाँ’ कहना मुल्यवान है क्योंकि उसमें हम आनन्द प्राप्त करते हैं। प्रिय
युवाओं, आप में से कुछ लोगों को अभी भी मालूम नहीं होगा कि अपने भावी जीवन में क्या करना।
ईश्वर से पुछें और वे रास्ता दिखायेंगे। युवा समुएल कई बार ईश्वर की आवाज सुनी किन्तु
समझ नहीं पाया। अन्त में प्रधान याजन एली की मदद से समझ गया कि उसे ईश्वर बुला रहे हैं
तब उसने प्रत्युत्तर दिया। आप भी ईश्वर से पूछे कि मुझे क्या करना है? कौन सा रास्ता
में आगे बढ़ना है? प्रिय मित्रो, इन दिनों आपने जो कुछ भी किया है उसके लिए धन्यवाद।
आपने यहाँ जो अनुभव किया उसे कभी न भूलें। मुझे अपनी प्रार्थना में याद करें तथा मैं
भी आपको अपनी प्रार्थना में याद करता रहूँगा।