बुजुर्ग मानवीय एवं धार्मिक धरोहर को नई पीढ़ी के लिए हस्तांतरित करते हैं
ब्राजील, शनिवार 27 जुलाई 2013 (सेदोक): रियो दे जानेरो स्थित साओ सेबास्तियनो महागिरजाघर
के प्राँगण में, शुक्रवार 26 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस ने विश्व युवा दिवस में उपस्थित
युवाओं के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने उपस्थित
लोगों को सम्बोधित कर कहा। "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, देवदूत
प्रार्थना विश्वास की एक उत्तम अभिव्यक्ति है। यह एक साधारण किन्तु महत्वपूर्ण प्रार्थना
है तथा निर्धारित समयानुसार दिन में तीन बार की जाती है। यह हमें मुक्ति इतिहास में ईश
पुत्र के देहधारण एवं नाज़रेथ के येसु की याद दिलाती है।" संत पापा ने कहा कि कलीसिया
कुवाँरी मरियम के माता-पिता संत अन्ना एवं जोआखिम का आज पर्व मनाती है। संत अन्ना एवं
जोआखिम के परिवार में मरियम निष्कलंक गर्भागमन द्वारा संसार में आयी। उनके द्वारा विश्वास
में बढ़ी तथा ईश वाणी को सुनना और अनुसरण करना सीखा। संत अन्ना एवं जोआखिम उन लोगों में
से हैं जिन्होंने ईश्वर के प्रति प्रेम एवं विश्वास को हस्तांतरित किया। विश्वास को हस्तांतरित
करने के लिए परिवार को विशेषाधिकार प्राप्त है। संत पापा ने कहा कि परिवारिक जीवन में
दादा-दादी का कितना महत्व है। वे मानवीय एवं धार्मिक धरोहर को नयी पीढ़ी के लिए हस्तांतरित
करते हैं जो प्रत्येक समाज के लिए आवश्यक है। पीढ़ियों के बीच आदान-प्रदान एवं वार्तालाप
करना कितना महत्वपूर्ण है ख़ास कर, परिवार की पृष्ठ भूमि में। अपारेसिदा दास्तावेज़ के
अनुसार बच्चे तथा बुजुर्ग मिलकर भावी समाज का निमार्ण करते हैं; बच्चे, इतिहास को आगे
ले चलते तथा बुजुर्ग अनुभव एवं प्रज्ञा को हस्तांतरित करते हैं(न.447)। संबंधियों एवं
पीढ़ियों के बीच वार्तालाप एक ख़ज़ाना है जिसे सुरक्षित एवं मजबूत रखना आवश्यक है। इस
विश्व युवा दिवस में युवा, बुज़ुर्गों के निरंतर प्रज्ञा की साक्षी के लिए उन्हें श्रद्धा
एवं कृतज्ञता व्यक्त करना चाहते हैं। जैसा कि संत जोआखिम एवं अन्ना ईश्वर के प्यार को
मरिया तक हस्तांतरित किया जिन्होंने ईश्वर के पुत्र को संसार को दिया। आज इस प्राँगण
तथा इसके आस पास उपस्थित सभी एक परिवार का अनुभव कर रहे हैं। हम माता मरिया के पास आयें
वे हमारे परिवारों की रक्षा करतीं तथा विश्वास एवं प्रेम को स्थान देतीं जो उनके पुत्र
येसु की उपस्थिति का अनुभव है।