2013-07-26 23:01:13

रियो दे जनेइरो में सामाजिक न्याय पर संत पापा का संदेश


रियो दे जनेइरो, शुक्रवार, 26 जुलाई, 2013 (सेदोक, वीआर) प्रिय भाइयो एवं बहनो, यहाँ आप सभी के साथ होना एक अनुठा एहसास है। प्रारम्भ से ही, मेरी इच्छा रही है कि मैं ब्राजील की यात्रा में मैं देश के सभी राज्यों का दौरा कर पाऊँ। काश, मैं सुप्रभात कहने, एक ग्लास ठण्ढा पानी, एक प्याला कॉफी मांगने के लिए प्रत्येक दरवाजा पर दस्तक दे पाता, एवं एक पारिवारिक मित्र की तरह बातें कर पाता, माता-पिता, बच्चे, दादा-दादी आदि सभी के दुःख-दर्द को सुन पाता। किन्तु ब्राजील बहुत विस्तृत है। हर दरवाजे पर दस्तक देना नामुमकिन है। इसलिए मैंने यहाँ आकर आपके समुदाय से मुलाकात करने का निश्चय किया, जो आज सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इतने प्रेम, सहानुभूति एवं आनन्द से स्वागत किया जाना कितना निराला है। समुदाय के रास्ते की सजावट को देखकर ही आपके स्नेह का अंदाजा किया जा सकता है। जो सभी ब्राजील वासियों के हृदय में उमड़ते उत्सवपूर्ण माहौल से आता है। इस भव्य स्वागत के लिए आप सभी को हार्दिक धन्यवाद। मैं महाधर्माध्यक्ष ओरानी तेमपेस्ता के साथ रेगसर एवं जोवाना को उनके स्वागत भाषण के लिए धन्यवाद देता हूँ।
ब्राजील की धरती पर पाँव रखने से लेकर इस मुलाक़ात तक मैंने आपके सहृदय स्वागत का अनुभव किया है। लोगों के स्वागत हेतु सक्षम होना एक बड़ी बात है। यह किसी सुन्दर श्रृंगार या सजावट से बढ़कर है। मैं यह इसलिए कहता हूँ क्योंकि जब हम उदारतापूर्वक लोगों का स्वागत करते हैं, उनके साथ भोजन करते, अपने घर में स्थान और अपना समय देते हैं, तब हम गरीब नहीं वरन धनी हैं। मैं समझता हूँ कि जब किसी को भोजन की आवश्यकता होती है तब वह आपके दरवाजे पर दस्तक देता है और आप उसके लिए भोजन का प्रबंध कर पाते हैं यह उस कहावत है- "बीन्स में हमेशा पानी डाला जा सकता है।" और आप यह सब प्रेम से करते हैं क्योंकि सच्ची समृद्धि भौतिक चीज़ों में नहीं किन्तु हृदय तल में है।
ब्राजीलवासी, विशेषकर आप लोगों के बीच से विनम्र लोग दुनिया को ‘एकता’ का बहुमूल्य पाठ पढ़ा सकते हैं। मैं बड़ी योजनाओं के लिए ज़िम्मेदार एवं जनता की भलाई की इच्छा रखने वाले, सामाजिक न्याय के लिए कार्यरत सभी लोगों से आग्रह करता हूँ कि आप महान एकता के न्यायपूर्ण समाज के हेतु कार्य करने से कभी न थकें। कोई भी संसार में कायम असमानताओं के प्रति असंवेदनशील नहीं रह सकता है। प्रत्येक अपनी ज़िम्मेदारी एवं अवसर के अनुसार समाज में व्याप्त अन्याय को दूर करने के लिए व्यक्तिगत सहयोग दे। स्वार्थ एवं व्यक्तिवाद की जो संस्कृति हमारे समाज में उभर रही है वह समाज के विकास एवं सहअस्तित्वपूर्ण समाज निर्माण नहीं करती है। एकजुटता की संस्कृति ही घृणा रहित समाज का निर्माण करती है जहाँ सभी एक दूसरे को भाई-बहन की तरह देख पाते हैं।
मैं ब्राजील समाज द्वारा भूख एवं पृथक्करण से संघर्षरत एवं आवश्यकता में पड़े लोगों समेत सभी नागरिकों के एकीकरण की पहल के लिए प्रोत्साहन देता हूँ। कोर्ई भी समाज में शांति निर्माण, सद्भाव और खुशी स्थायी नहीं हो सकता, जिसमें अपने समुदाय के ग़रीबों की उपेक्षा होती उन्हें अलग रखा जा है। उस प्रकार का समाज अपने आप दरिद्र बन जाता है यह आवश्यक चीज़ को खो देता है। हम इस बात के हमेशा याद रखें कि जब हम बांटते हैं तब यथार्थ धनी बनते हैं। समाज की महानता इस बात से झलकती है कि वह ज़रूरतमंदों एवं उनकी मदद करती है जिनके पास अपनी गरीबी के सिवा कुछ नहीं है।
2. मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि कलीसिया जो ‘स्वर्ग में गुहार’ लगाती है वह समाज के असह्य एवं असमानता के चेहरे पर न्याय की अधिवक्ता एवं ग़रीबों की रक्षिका है।(अपारेसिदा डोक्यमेंट-395) वह प्रत्येक व्यक्ति एवं सम्पूर्ण व्यक्तित्व के वास्तविक विकास के हर पहल का सहयोग करना चाहती है।
प्रिय मित्रो, भूखों को रोटी देना अति आवश्यक है, यह एक न्यायपूर्ण कार्य है। किन्तु एक दूसरी भूख है जो उसे बढ़कर है। खुशी पाने की भूख - जो सिर्फ ईश्वर प्रदान करते हैं। देश में न तो सार्वजनिक हित में वास्तविक प्रोन्नति है और न ही यथार्थ मानवीय विकास, जब सरकार मूलभूत स्तम्भ की उपेक्षा करती है। यह कोई भौतिक पदार्थ नहीं है; जीवन, जो ईश्वर प्रदत्त एक मूल्यवान वरदान है, जिसकी हरदम रक्षा करना है। परिवार, सह-अस्तित्व का आधार है एवं समाज विखंडन तथा अभिन्न शिक्षा से बचने का उपाय है। जिसे सिर्फ मुनाफा प्राप्त करने का साधन मात्र नहीं समझा जा सकता है। व्यक्ति के सम्पूर्ण स्वास्थ्य विशेषकर, आध्यात्मिक आयाम के लिए मानवीय संतुलन आवश्यक है। स्वस्थ सह-अस्तित्व एवं सुरक्षा पर दृढ़ विश्वास मानव हृदय के परिवर्तन से ही संभव है।
मैं एक अंतिम बात कहना चाहता हूँ। पूरे ब्राजील में, बहुत सारे युवा हैं। प्रिय युवा मित्रो, अन्याय के प्रति आप ख़ास संवेदनशील है किन्तु आप बहुत बार लोगों की ओर से बुराई की बात सुन निराश हो जाते हैं, जो सार्वजनिक हित के स्थान में अपने स्वार्थ के लिए कार्य करते हैं।
मैं आप सभी को दोहराता हूँ कि कभी हताश न हों, भरोसा न खोयें, आशा के दीप को बुझने न दें।
परिस्थिति बदल सकती है - लोग बदल सकते हैं। अच्छाई की खोज करने वालों में आप प्रथम बनें, बुराई के शिकार न बनें किन्तु इस पर विजय प्राप्त करें। कलीसिया आपके साथ है वह विश्वास के बहुमूल्य उपहार को आपके लिए देती है, येसु ख्रीस्त को देती है।" आप आयें, जिससे आप जीवन प्राप्त करें एवं परिपूर्ण जीवन प्राप्त करें। (यो.10:10)
आज मैं आप सभी से, ख़ासकर वर्जिंहा के निवासियों से कहना चाहता हूँ," आप अकेले नहीं हैं, कलीसिया आपके साथ है, संत पापा आप के साथ है। मैंने आप प्रत्येक को अपने हृदय में समेट लिया है एवं निवेदन करता हूँ कि आप अपने हृदय की गहराई में आनन्द के लिए धन्यवाद, कठिनाइयों के समय में मदद, दुःख एवं पीड़ा की घड़ी में सहानुभूति धारण करें।
मैं आप सभी को ब्राजील के ग़रीबों की माता अपारेसिदा की माता मरिया को सौंप देता हूँ एवं आगाध स्नेह से अपना आशीर्वाद प्रदान करता हूँ।









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